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जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारत में अगले 10 साल तक जीएम( परिवर्तित आणुवांशिकी वाले) फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगायी जानी चाहिए। पर्यावरणवादी समूहों, नागरिक संगठनों और वैज्ञानिकों ने इस सिफारिश का स्वागत किया है। समिति की सिफारिशों में भोजन के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सारी बीटी-ट्रांसजेनिक फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगानी की बात शामिल है( मूल रिपोर्ट और विस्तृत ब्यौरे के...

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क्या कैश-ट्रांसफर के लिए पीडीएस को खत्म किया जा सकता है?

अनाज इतना है कि सरकारी गोदामों में उन्हें संभाल पाना मुश्किल हो रहा है और सरकार के पास धन की ऐसी कमी है कि वह खर्च कम करके संयम बरतने की सलाह दे रही है। फिर भी, विश्वबैंक की सलाह को अपने सर माथे चढ़ाकर सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस) के जरिए अनाज बांटना बंद करना और लोगों को इसकी जगह कैश-ट्रांसफर के जरिए नकदी देना चाहती है। देश के विभिन्न भागों में होने वाले सर्वेक्षण, मौका...

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आखिर गरीबी के मायने क्या?- हर्षमंदर

पिछले साल के अंतिम दिनों की बात है। दो युवकों ने तय किया कि वे अपने जीवन का एक माह उतने पैसों में बिताएंगे, जो एक औसत गरीब भारतीय की मासिक आय है। उनमें से एक युवक हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी का बेटा है। उसने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है और अमेरिका और सिंगापुर में बैंकर के रूप में काम कर चुका है। दूसरा युवक अपने माता-पिता के साथ...

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पशुधन का कुपोषण से क्या रिश्ता है ?

हम जानते हैं कि कुपोषण का बोझ देश के जमीर और जेब दोनों पर भारी है।हम यह भी जानते हैं कि बाल-कुपोषण से छुटकारा पाना बड़े साहस और धैर्य की मांग करता है। लेकिन कुपोषण से छुटकारा पाने की स्थिति में जो आर्थिक फायदे होंगे- क्या हमें उन फायदों के बारे में पता है? एफएओ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत बाल-कुपोषण को खत्म करके अपनी आय में 28 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा कर सकता है।यह बड़े आर्थिक...

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गरीबों की गिनती का सच : हर्ष मंदर

मानवीय अस्मिता के साथ जीवन बिताने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को कितने पैसे की जरूरत हो सकती है? हम जिस समय में जी रहे हैं, उसमें ऐसा कभी-कभार ही होता है कि अखबारों के फ्रंट पेज और खबरिया चैनलों के प्राइम टाइम बुलेटिनों में यह सवाल सुर्खियों में आया हो। यह भी आम तौर पर नहीं होता कि इस पहेली ने मध्यवर्ग की चेतना को चुनौती दी हो। लेकिन जब...

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