भोपाल गैस त्रासदी को आज 31 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन इससे प्रभावित हुए भोपाल और उसके आसपास के लोगों और पीड़ितों को अभी भी इंसाफ के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। आज से ठीक 31 बरस पहले 2 और 3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस रिसाव से समूचे शहर में मौत का तांडव मच गया था। उस रात लगभग...
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वकालत के अपराधीकरण पर लगाम-- विराग गुप्ता
न्यायिक व्यवस्था के पतन एवं सड़ांध पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने माननीय न्यायाधीशों से बुर्का पहनकर बाहर घूमने का आग्रह किया, जिससे उन्हें बेंच (अदालतों) की नाकामी की हकीक़त पता चल सके, लेकिन इस सड़ांध की जिम्मेदारी सिर्फ जजों पर ही क्यों? कुछ दिन पूर्व दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लॉ की फर्जी डिग्री के आरोप में...
More »जिल्लत की जिंदगी जी रहीं महिलाएं इंसाफ के इंतजार में
गौतम चौबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना से पीड़ित महिलाएं 15 साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। सालों बीत जाने के बाद भी उनके माथे से कलंक नहीं मिट पाया है और वे जिल्लत की जिंदगी जी रही हैं। अदालत की धीमी रफ्तार के कारण अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है और वे वयोवृद्ध हो चुकी हैं। पीड़िता श्याम बाई साहू 70 साल की हो चुकी...
More »औरतों की अहमियत
बांग्लादेश की इकोनॉमी में औरतों की हिस्सेदारी 34 फीसदी है। विश्व बैंक की एक ताजा छपी रिपोर्ट 'औरत, कारोबार और कानून' के मुताबिक, बांग्लादेश सालाना छह फीसदी की अपनी मौजूदा जीडीपी की तरक्की में 1.8 फीसदी और जोड़ सकता है। अपने तजुर्बे के आधार पर हम इस तथ्य की पुरजोर वकालत करते हैं, क्योंकि अस्सी के दशक ने हमने दिखाया है कि कैसे औरतों की अगुवाई में मुल्क में रेडीमेड...
More »आदिवासी संघर्ष का जख्मी चेहरा- अपूर्वानंद
हिड़मे कौन है? क्या वह लड़का है या लड़की? हिड़मे भारतीय कानों के लिए एक अटपटा शब्द है। सांस्कृतिक-स्मृतिहीन लेकिन परंपराग्रस्त भारतीय माता-पिताओं को उनके पुत्र-पुत्रियों के नामकरण में सहायता करने के लिए हिंदी और अंगरेजी में जो नामावली पुस्तकें छपती हैं, उनमें यह नाम नहीं मिलेगा। हिड़मे का पूरा नाम है कवासी हिड़मे। वह लड़की है। बेहतर हो कहना कि वह युवती है। लड़की से युवती बनने की यात्रा उसने...
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