देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो नदियों के बहते पानी को पंप से लिफ्ट करके सिंचाई करते हैं। जब तक विभिन्न किसान यह प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर करते रहे, इसमें कई कठिनाइयां रहीं, पर अनेक किसान सामूहिक प्रयास से अब काफी सफलता प्राप्त कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के कुछ गांवों में अंडरग्राउंड पाइप डालकर इस पानी को पहले की अपेक्षा काफी अधिक खेतों...
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ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण गरीबी से लड़ाई पड़ सकती है कमजोर: विश्व बैंक
विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट के जरिए चेतावनी देते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन विश्व भर में गरीबी को हराने के लिए किए जा रहे प्रयासों को कमजोर कर सकता है। ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव पर आई इस नई रिपोर्ट में बैंक ने कहा कि तापमान में तेज वृद्धि के कारण कई इलाकों में फसलों के उत्पादन और जल आपूर्ति में भारी कमी आएगी और यह...
More »गंगा को 956 फैक्ट्रियों ने किया मैला
aयूपी की 956 फैक्ट्रियां अपना औद्योगिक कचरा सीधे गंगा में छोड़ रही हैं जिससे नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। यह हकीकत यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की जांच में सामने आई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद यूपीपीसीबी ने इन फैक्ट्रियों को नोटिस भेजकर ट्रिब्यूनल में पेश होने को कहा है। एनजीटी ने केंद्रीय व यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन...
More »पेड़ों की कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने की क्षमता हो रही कम
कोलकाता: सुंदरवन में गरान ( मैनग्रोव) के पेड़ों की ग्रीन हाउस गैसों में प्रमुख कार्बनडाई आक्साइड को वातावरण से सोखने की क्षमता तेजी से घट रही है. ऐसा पानी के खारेपन, तेजी से हो रही वनों की कटाई तथा प्रदूषण के चलते हो रहा है. एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि विश्व के सबसे बड़े डेल्टा में गरान के वन, दलदल की घास, फाइटोप्लैंकटंस,...
More »कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर
अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...
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