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विमुक्त-घुमंतू जनजातियों का आजादी दिवस और अखबारों का सन्नाटा!

-गांव सवेरा, अंग्रेजी के एक भी अखबार में डिनोटिफाइड ट्राइब्स के आजादी दिवस समारोह को लेकर कोई खबर नहीं है. अंग्रेजी के जिन अखबारों को हमारी टीम ने टटोला उनमें द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया, द पायनियर, हिंदुस्तान टाइम्स अखबार शामिल रहे. वहीं हिंदी के अखबारों का भी यही हाल रहा.   कल 31 अगस्त को विमुक्त-घुमंतू जनजातियों या डिनोटिफाइड ट्राइब्स (डीएनटी) ने अपना 70वां आजादी दिवस मनाया. हिंदी...

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भारत के इन करोड़ों लोगों के लिए 31 अगस्त है आजादी का दिन!

-गांव सवेरा, देश 15 अगस्त को आजादी का जश्न मना चुका है वहीं देश की करीबन 15 करोड़ की आबादी आज दूसरा आजादी दिवस मना रही है. भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त आपके लिए उत्साहवर्धक हो सकती है लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसी जनजातियां भी हैं जिनके लिये 31 अगस्त असली आजादी का दिन है, क्योंकि जब पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ था तो ये लोग...

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कृषि अध्यादेश आने के बाद नई मंडियों के निर्माण पर योगी सरकार ने क्यों लगाई रोक?

-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान बीते नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान किसान नेताओं और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुई, लेकिन इसका में कोई हल नहीं निकला. दरअसल सरकार इन कानूनों को किसान हित में बता रही है, वहीं किसान नेता इसे काला कानून बताकर सरकार से वापस...

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आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!

हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...

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बात बोलेगी: बिगड़ा हुआ है रंग जहान-ए-ख़राब का…

-जनपथ, मौसम पर ये तोहमत लगती है कि एक-सा नहीं रहता। माशूकाएं अपने आशिक पर ये संदेह करती रहती हैं कि ‘मौसम की तरह तुम भी बदल तो न जाओगे’? मौसम अगर थिर हो जाए तो लोगों को फूटी आँख नहीं सुहाता। क्या हो अगर बारिश होती ही रहे, धूप निकली ही रहे और जाड़ा बना ही रहे? लोग ऊब जाते हैं। उकता जाते हैं। मौसम के थिर हो जाने या...

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