गुमला: जमटी गांव के इन बच्चों को भाकपा माओवादी के हार्डकोर नक्सली नकुल यादव ने ग्रामीणाें से मांगा था, ताकि वह नक्सली बाल दस्ता बना सके. नक्सलियों द्वारा बच्चा मांगे जाने के बाद से परिजन दहशत में थे. नक्सली बच्चों को अपने साथ ले जाते, उससे पहले डीआइजी आरके धान व एसपी भीमसेन टुटी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स गांव में घुसी और गांव के सभी बच्चों को अपने संरक्षण...
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आज भी मुख्यधारा से कटे हैं सरयू के लोग, तबीयत हुई खराब, तो बचना मुश्किल
इस इलाके में रहनेवाले लोगों के बेटे-बेटियों के लिए रिश्ते नहीं आते. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा था, चार माह में यहां दिखेगा बदलाव, लेकिन हालात यह है कि यहां जीवन काटना भी मुश्किल है. फिर भी लोग यहां बसर कर रहे हैं इस उम्मीद में कि कभी तो उनके भी दिन बहुरेंगे. ।। सरयू से लौट कर जीवेश ।। चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा लगभग दो...
More »खौफ पर शिक्षा की लौ भारी
बाल विवाह व दलालों की खिलाफत करनेवाली गुमला की विरशमुनी कुमारी व ममता कुमारी की चर्चा पूरे राज्य में है. चैनपुर की सुनीता की कुरबानी भी आदर्श है, जिसने नक्सलियों के साथ से ज्यादा पढ़ाई को महत्व दिया. जान गवां दी, पर झुकी नहीं. असामाजिक तत्वों के खिलाफ शिक्षा की मशाल जला यहां की बेटियां समाज को बदलाव की नयी राह दिखा रही हैं. गुमला से लौट कर जीवेश ...
More »झुमरा : बारूद की गंध की जगह फसल की खुशबू
देश में बाेकाराे के जिस झुमरा पहाड़ की चर्चा बारूदी सुरंग विस्फोट व मुठभेड़ों के लिए होती थी, वह झुमरा अब बदल गया है. टूटी-फूटी सड़कों की जगह अब पक्की सड़क पर चार घंटे का सफर 17 मिनट में तय होने लगा है. नक्सलियों की जनसभा की जगह अब महिला गोष्ठी अौर क्रांतिकारी गीत की जगह रोपा के गीत गूंजने लगे हैं. बच्चों के चेहरे पर दहशत नहीं, खुशी है....
More »खुली बहस के परे कोई भी विषय नहीं - मृणाल पांडे
ऋग्वेद (8, 2, 24) में मनुष्य देवताओं से पूछते हैं कि सत्य का साक्षात करने वाले ऋषि तो रहे नहीं, आने वाले समय में उनकी जगह कौन लेगा? देवताओं का जवाब है, आने वाले काल में समान स्तर के अनेक ज्ञानी जब बैठकर अपने-अपने ऊह (तर्क) और अपोह (प्रतितर्क) से हर विषय पर बहस को आगे बढ़ाएंगे तो उनके समवेत तर्क-वितर्क ही अंतिम सच का निर्णय करेंगे। एक अग्रगामी लोकतंत्र...
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