भारत के त्रिपुरा में एक आदिवासी दंपति के क़थित तौर पर ग़रीबी के कारण अपने नवजात बच्चे को बेचने का मामला सामने आया है. त्रिपुरा के कोवाई सब-डिविज़न के मुंडा बस्ती गाँव के रहने वाले रंजीत तांती ने अपने चौथे बच्चे को उसके जन्म के एक दिन बाद ही मात्र 4500 रुपए में बेच दिया. रंजीत कहते हैं, "जब मेरी बीवी तीन महीने के गर्भ से थी तो हमने डॉक्टर से गर्भपात...
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जन-स्वास्थ्य की पहली शर्त सुरक्षित भोजन- पूनम खेत्रपाल सिंह
कितनी बार हम खुद से पूछते हैं कि जो भोजन हम खा रहे हैं, क्या वह सुरक्षित है? क्या वह जीवाणु, वायरस, रसायनों या मिलावट से रहित है, जो डायरिया से लेकर कैंसर तक 200 तरह के रोगों का कारण बन सकते हैं? हर वर्ष दूषित भोजन व पानी के कारण दुनिया भर में 22 लाख लोग मौत के मुंह में पहुंच जाते हैं, इनमें 19 लाख बच्चे होते हैं।...
More »यहां जन्म लेते ही अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नवजात
विकास पांडेय, कोरबा। उरगा-करतला मार्ग पर एक ऐसा गांव भी है, जहां के नवजात शिशुओं को जन्म लेते ही एक भीषण अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अपने एक से 10 दिन के दूधमुहे बच्चों के पेट में लोहे की गर्म सीक से दाग दिलाते हैं। उनका मानना है कि इस तरह नवजातों को सर्दी-जुकाम व पेट की बीमारियों से हमेशा के लिए निजात मिल...
More »झाबुआ में बेटियों को नसीब नहीं हो रही गोद
अहद खान/झाबुआ। जिले के पेटलावद में एक शराबी पिता अपनी बेटी को लावारिस छोड़ गया। दूसरी महिला इसका लालन-पालन कर रही है। शायद इस शराबी की संतान यदि बेटा होती तो वो ऐसा नहीं करता। लाख दावों, नारों और कोशिशों के बावजूद बेटियों को परिवार का प्यार नहीं मिल पा रहा। 'बेटी है तो कल है' नारे में ये बात अच्छी लगती है, लेकिन असलियत में उन्हें गोद लेने वाले...
More »छुआछूत की भेंट चढ़ा नवजात, सदमे में जननी
डॉ. राजेंद्र छाबड़ा, कैथल। मुझे मत मारो, मुझे मेरे जिगर का टुकड़ा लौटा दो...। ये चीत्कार है उस बेबस जननी की जो गहरे सदमे की हालत में पिछले करीब एक माह से बिस्तर पर है। उसका कसूर केवल इतना है कि वह दलित है। इसी कारण उसके नवजात शिशु को जान देनी पड़ी। कई बार गुहार लगाने के बावजूद अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ित महिला...
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