-सत्याग्रह, बात 2009 की है. मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी गई एक किताब का विमोचन होना था. यह किताब भाजपा नेता जसवंत सिंह ने लिखी थी. देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां इस समारोह में उपस्थित थीं. प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी भी इनमें से एक थे. उन्होंने इस समारोह में कहा, ‘भारत-पाकिस्तान विभाजन का मुख्य कारण मोहम्मद अली जिन्ना नहीं बल्कि हरिचन्द्र नाम का एक कंजूस हिन्दू था.’ जेठमलानी के इस बयान...
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बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
-डाउन टू अर्थ, उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतीय शहर पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर दूर गांव कठूड़ की स्यारियों (गदेरे यानी बरसाती नदी से लगते खेत) में विकास रावत और आलोक चारू अपने साथियों के साथ खेत में लगी सब्जियां तोड़ रहे हैं। कुछ ही देर में आसपास के गांव के लोग ये सब्जियां खरीदने आने वाले हैं। ये लोग पेशे से सब्जी किसान नहीं हैं। विकास कोरोना संक्रमण को रोकने के...
More »कोरोना के दौर में घुमंतू समुदाय
-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस के फैलाव को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने पहले से बदहाल घुमंतू समुदाय की कमर तोड़कर रख दी है। पशुधन पर आश्रित ये समुदाय अब अपने पशुओं को खिलाने की स्थिति में नहीं है। राइका रैबारी समुदाय ने अपने ऊंटों को खुला छोड़ दिया है। भेड़-बकरी पालक भी हताश हैं। मार्च और अप्रैल में लगे लॉकडाउन ने इन घुमंतुओं को एक स्थान रुकने को...
More »पहाड़ को जल संकट से उबारने में जुटे चंदन
-वाटर पोर्टल, उत्तराखंड़ का भौगोलिक और पौराणिक महत्व किसी भी अन्य क्षेत्र की अपेक्षा कईं ज्यादा अलौकिक और वृहद है। उत्तराखंड़ के संदर्भ में कहा जाता है कि ‘पहाड़ की जवानी पहाड़ के किसी काम नहीं आती। वो तो रोजगार की तलाश में मैदानों में चली जाती है। पहाड़ों पर तो बचते हैं, बूढ़े मां-बाप और बच्चे।’ जो लोग बचे हैं, वें चौड़ी पत्ती वाले जंगलों के कम होने से हर साल जल...
More »जलस्रोतों में छिपा है पहाड़ के भू-कटाव का समाधान
-वाटर पोर्टल, पहाड़ हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। हर कदम पर संघर्ष और चुनौती यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा रहे हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन बढ़ने के साथ-साथ पहाड़ पर चुनौतियों का स्वरूप ही बदलता जा रहा है। बादल फटना, बाढ़, भूस्खलन और भू-कटाव आदि एक तरह से लोगों के जीवन का हिस्सा ही बन गए हैं, जिनसे हर साल उन्हें दो-चार होना पड़ता है। इससे न केवल यहां के...
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