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बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?

-आइडियाज फॉर इंडिया, सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नागराज भारत के वर्तमान नीति अभिविन्यास और उद्योग एवं बुनियादी अवसरंचना में हाल में किये गए निवेश के परिणामों की जांच करते हैं। वे तर्क देते हैं कि उद्योग पर...

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महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

-न्यूजक्लिक, महंगाई और इससे निपटने के तरीके लोगों को असल में प्रभावित करते हैं। यह महज़ कोई आंकड़ा नहीं है, जिसे हम विशेषज्ञों की बातचीत में टीवी पर देखते हैं। बल्कि यह तय करता है कि कैसे असली संसाधन हमारे समाज में वितरित हो रहे हैं। कैसे उन तक अलग-अलग वर्ग समूहों की पहुंच सुनिश्चित हो रही है। सामान्य आदमी की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती कि सरकार कैसे मुद्रास्फीति (महंगाई)...

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खंडवा: बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के बांध बना कर उजाड़ दिए आदिवासी परिवार

-जनपथ, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा खंडवा जिले में बन रही आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी की अर्जी का प्रकरण बंद कर इसे उल्लंघन परियोजना घोषित कर दिया है। इसके साथ ही बांध के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी है। बांध का कार्य बगैर पर्यावरणीय स्वीकृति के 90 प्रतिशत हो चुका है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना खंडवा जिले के खालवा ब्लाक में...

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बजट 2022-23: पूंजीगत लाभ कर, और परिसंपत्ति-मूल्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, परिसंपत्ति-मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित कराने की आवश्यकता होते हुए भी, वर्ष 2022-23 के बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस लेख के ज़रिये, गुरबचन सिंह संपत्ति-मूल्य स्थिरता बनाए रखने में एक नीति के रूप में कर की कल्पना की जांच करते हैं, कैसे पूंजीगत लाभ कर इस संदर्भ में बाधाएं पैदा करता है, और कर कानूनों में राजस्व-तटस्थ परिवर्तन कैसे...

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क्यों पूंजीवादी सरकारें बेरोज़गारी की कम और मुद्रास्फीति की ज़्यादा चिंता करती हैं?

-न्यूजक्लिक, पूंजीवादी सरकारें हमेशा ही बेरोजगारी बढ़ाने के जरिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण कायम करने की कोशिश करती हैं। इसका, इन दोनों के बीच किसी टिकाऊ संतुलन में उनके विश्वास से यानी दोनों को आपस में जोडऩे वाले किसी स्थिर चाप पर विश्वास करने से, कुछ लेना-देना नहीं है। यहां तक कि जो लोग मुद्रास्फीति के दूसरे-दूसरे कारण मानते हैं, जैसे मुद्रा की फालतू आपूर्ति (‘मालों की कम मात्रा के पीछे जरूरत...

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