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महीने भर की तलाश में मिला 1 बाल श्रमिक,सरकारी सर्वे रिपोर्ट में खुलासा

संजीत कुमार, रायपुर। श्रम विभाग को महीनेभर की तलाश के बाद जिले में केवल एक बाल श्रमिक मिला है! इस आंकड़े की वजह से सर्वे ही सवालों के घेरे में आ गया है। इस पर विवाद की आशंका को देखते हुए श्रम विभाग ने अपना पल्ला झाड़ते हुए तत्काल रिपोर्ट सर्वे एजेंसी को लौटा दी है और फिर से जानकारी देने के लिए कहा है। वहीं, सर्वे करने वाली एजेंसी...

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भूमंडलीकरण के दौर में मजदूर दिवस- कृष्ण प्रताप सिंह

भूमंडलीकरण व्यापने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में ऐसा नहीं है! और तो और, इस देश में ऐसी कोई परंपरा भी नहीं बन पायी है, जिससे मजदूरों के संदेशों को दूसरी नहीं तो कम-से-कम उनकी अपनी जमातों तक पहुंचाया जा सके. ऐसे दुर्दिन में मजदूर दिवस पर कोई भी सार्थक बातचीत उसके सामान्य परिचय...

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निमाड़ को भी चाहिए 'सत्यार्थी' और 'मलाला'

विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव, खरगोन। सुमित। उम्र-14 साल। काम- बस स्टैंड की एक होटल में टेबल पर पोंछा लगाना। दिनेश। उम्र-12 साल। काम- नगर पालिका क्षेत्र में चाय की गुमटी पर ग्लास धोना। सुबह साढ़े 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक इन्‍हें फुरसत नहीं। उधर रोली शहर के पॉश इलाके में घर-घर जाती है। उम्र-13 साल। यह अपनी मां के साथ झाड़ू-पोंछा, बर्तन साफ करने में हाथ बटाती है। ये तीन...

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आज भी मजबूर हैं बच्चे

बाल श्रम के क्षेत्र में काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात है। पर यह सवाल आज भी उतनी ही शिद्दत से हमारे सामने है कि कब हमारे देश से बाल श्रमिकों का उन्मूलन होगा। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक चूड़ी कारखाने से बिहार के 140 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। यह बताता है कि बाल...

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प्रभावी कानून के होते क्यों नहीं रोक पाते बाल श्रम- मुनीश रायजादा

हाल ही में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने से भारतीय समाज में पसरी बाल श्रम की बुराई दुनिया भर में उजागर हुई है। बारह साल पहले जब मैं भारत से अमेरिका आया था, तो यहां बाल श्रमिकों की अनुपस्थिति ने मेरा ध्यान बरबस आकर्षित किया था। भारत में हम ढाबों, रेस्तरां, बाजारों व होटलों में अक्सर बच्चों को काम करते देखते हैं। ये दृश्य हम में से...

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