धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रदेश की कई संवैधानिक संस्थाएं लंबे समय से प्रभारियों के भरोसे चल रही हैं। हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को लोकायुक्त संगठन और मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं में पूर्णकालिक मुखिया की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। प्रदेश का शीर्ष संवैधानिक राज्यपाल का पद भी बीते एक साल से खाली है। लोकायुक्त का पद खाली सरकार का दावा...
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केंद्र शासित राज्यों की व्यथा कथा-- एस. श्रीनिवासन
दिल्ली के बाद अब पुडुचेरी में उप-राज्यपाल और जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री के बीच घमासान नए-नए मोड़ ले रहा है। उप-राज्यपाल किरण बेदी ने राज्य मंत्रिमंडल पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है, तो मुख्यमंत्री एम नारायणसामी ने जवाबी हमले में उप-राज्यपाल के आरोपों को बेतुका बताते हुए बेदी को निर्वाचित सरकार के कामकाज में रुकावट पैदा करने वाली बताया और उन्हें तुरंत वापस बुलाने की केंद्र...
More »घोर विपदा की तरफ बढ़ता कश्मीर-- पी चिदंबरम
जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति पर मैंने कई बार लिखा है, खासकर कश्मीर घाटी की स्थिति के संदर्भ के साथ। अप्रैल से सितंबर 2016 के दरम्यान, प्रस्तुत पेज पर, इस विषय पर छह स्तंभ आए। मेरा मुख्य तर्क यह था कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार और केंद्र सरकार ने जो नीतियां अख्तियार की हुई हैं उनके चलते हम कश्मीर को खो रहे हैं। कश्मीर घाटी के बाहर, कुछ ही लोगों...
More »तीन सरकार, तीनों बेकार!-- योगेन्द्र यादव
हमारे देश में महानगरों की हालत इतनी बुरी क्यों है, यह समझना है तो दिल्ली आइए. लोकतांत्रिक चुनाव इसे बदलने में क्यों असफल रहते हैं, यह जानने के लिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते रहिए. हमारे शहरों-महानगरों में सरकार एक भूल-भुलैया है. सरकारी बाबू के सिवा किसी को नहीं पता कि किसका क्या अधिकार क्षेत्र है. दिल्ली शहर में तीन सरकारों का राज चलता है- उपराज्यपाल...
More »कलिखो के सुसाइड नोट का बम-- योगेन्द्र यादव
दिल्ली में सत्ता के गलियारों में खुसर-फुसर चल रही है. एक विधवा साठ पेज का बम लेकर घूम रही है. धुआं निकल रहा है. न कोई अपनी आंख हटा पा रहा है. न ही कोई छूने की हिम्मत कर रहा है. हर कोई सोच रहा है कि बम फटेगा तो किसका नंबर आयेगा. ईटानगर हो या दिल्ली, सरकार हो या न्यायपालिका, किसी से भी अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री...
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