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शुरुआती तजुर्बाती कोरोना वायरस के टीके फेल हो गए तो दूसरे रास्ते क्या होंगे?

-न्यूजलॉन्ड्री, दुनिया भर के दर्जनों शोध समूह एक बड़ी जुए की बाज़ी खेल रहे हैं. वे हम सबको ये भरोसा दे रहे हैं कि उनके प्रायोगिक टीके अन्य की तुलना में सस्ते और अधिक प्रभावी होंगे. महामारी के इन सात महीनों में, 130 से अधिक प्रयोगात्मक टीको के बारे में पता चला है. पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क टाइम्स ने पुष्टि की है कि दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में कम से कम 88...

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आपदा में अवसर : महामारी के दौर में देश में 45 जगह जबरन बेदखली

-डाउन टू अर्थ,  कोरोनाकाल की आपदा को अवसर मानते हुए राज्यों ने 20 हजार से अधिक लोगों को उनके घर से जबरन विस्थापित कर दिया। विस्थापित लोगों का यह आंकड़ा 16 मार्च से 31 जुलाई तक का है। हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की रिपोर्ट “फोर्स इविक्शन इन इंडिया इन 2019 : एन अनरिलेटिंग नेशनल क्राइसिस” के अनुसार, देशभर में महामारी के दौरान जबरन बेदखली के कम से कम 45...

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भारत के युवाओं के लिए रोज़गार की राह हुई और मुश्किल

-बीबीसी, कोरोना के आने से पहले भी दुनिया भर में यह बहुत बड़ा सवाल था कि आनेवाले दिनों में रोज़गार कैसे मिलेगा, कहाँ मिलेगा और किस किसको मिलेगा? अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार पानेवाले दंपती अभिजीत बनर्जी और एस्टर डूफलो तो तभी कह चुके थे कि अब दुनिया भर की सरकारों को अपनी बड़ी आबादी को सहारा देने का इंतज़ाम करना पड़ेगा, क्योंकि सबके लिए रोज़गार नहीं रह पाएगा. बड़ी बहस इस बात पर...

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सत्यजीत रे की तीन शहरी फ़िल्में और संकट-ग्रस्त नैतिकताओं के संसार

-न्यूजलॉन्ड्री, सीमाबद्ध (1971) साल 1970 के अक्तूबर-नवम्बर में कलकत्ता (आज का कोलकाता) में 17 दिनों के फ़ासले से दो फ़िल्में रिलीज़ हुईं. पहली थी सत्यजीत रे की प्रतिद्वंद्वी और दूसरी थी मृणाल सेन की इंटरव्यू. संयोगवश यह दोनों ही फ़िल्में एक ऐसी संज्ञा का सूत्रपात कर रही थीं जिसे सत्यजीत रे और मृणाल सेन,दोनों के सिनेमा के संदर्भ में ‘कलकत्ता ट्राइलोजी’ (Calcutta Trilogy) कहा जाता है. इस श्रृंखला में दोनों निर्देशकों की...

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नया हिंदुस्तान: जहां बोलना मना है

-न्यूजलॉन्ड्री, अगस्त 2020 की एक दोपहर. रात भर की बारिश के बाद दोपहर की गर्मी की बजाय हवा में उमस है. दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के गेट पर लगे जामुन के पेड़ के आसपास पके जामुन बिखरे हुए हैं. कोविड-19 के आगमन के बाद से बंद पड़े प्रेस क्लब में छह महीने बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर...

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