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स्कूल तोड़कर बीच से निकाल दी गई फोर लेन सड़क, ग्रामीणों ने शुरू किया ‘सड़क पर स्कूल’ अभियान

-न्यूजक्लिक, ये तो सभी ने खुली आंखों से देखा है कि किस प्रकार से कोरोना महामारी काल ने केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारों की भांति बिहार सरकार की भी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को उधेड़ कर रख दिया. लेकिन अब अनलॉक की स्थिति ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है. बिहार सरकार ने विगत दिनों से प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की जो स्थिति कर रखी है,...

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अमेरिका की यूज एण्ड थ्रो पॉलिसी से 3 बार जूझने के बाद अब अफगानिस्तान के आगे क्या बचा है

-द प्रिंट, तालिबान की फतह अवश्यंभावी दिख रही है. अफगानिस्तान पिछले एक-दो सप्ताह से दुनिया भर में सुर्खियों में, लेखों में छाया है. गौर कीजिए कि 90 फीसदी लेखों और बहसों में यही मुद्दा उठाया जा रहा है कि अमेरिका से लेकर भारत और चीन तथा बेशक पाकिस्तान आदि दूसरे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा. लेकिन जिस मुल्क, अफगानिस्तान और उसके चार करोड़ आवाम को सबसे ज्यादा तवज्जो और जज़्बाती...

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विकास की धीमी रफ़्तार और बढ़ता नौकरियों का संकट

-द वायर, भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन (एनएसओ) ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. एनएसओ ने अभी अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण (2019-20) जारी किया, जो 30 जून 2020 तक की अवधि को कवर करता है. 2017-18 में एनएसओ ने बताया कि बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी और युवा बेरोजगारी...

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प्रथम दृष्टि : खस्ताहाल स्कूल

-आउटलुक, “आज सरकारी स्कूलों में सिर्फ उनके बच्चे पढ़ते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति निजी विद्यालयों की फीस भरने लायक नहीं। ऐसे में सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत भला कैसे सुधरेगी? पटना हाइकोर्ट का सवाल नीति-नियंताओं के सामने खड़ी चुनौती है” बिहार में शिक्षा विभाग के लिए एक नई मुसीबत आन पड़ी है। एक मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने उसे यह बताने को कहा है कि राज्य में कितने सरकारी...

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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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