मैंने आप्रवासन (इमीग्रेशन) पर छपी एक खबर देखी, जिसके बाद मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि सरकार जो कर रही है क्या उस पर उसने सोचा भी है. ‘द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘असम और पश्चिमोत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर दूरगामी असर डालनेवाला एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन करेगा, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से भाग...
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दिल्ली में सरकारों का छाया-युद्ध- विकास नारायण राय
अगर विज्ञापनों के बूते संभव होता तो दिल्ली से अब तक भ्रष्टाचार का नामो-निशान मिट चुका होता और इस महानगर की स्त्रियां पूरी तरह सुरक्षित हो गई होतीं। इस संदर्भ में दिल्ली की केजरीवाल सरकार और पुलिस आयुक्त बस्सी का मीडिया धरातल पर चल रहा प्रतिस्पर्धात्मक अभियान जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है। उनके तरकश से राजधानी के राजनीतिक छाया-युद्ध में चलाए जा रहे तीरों का संबंध परस्पर अविश्वास से...
More »पहले रेलवे को सुरक्षित तो बनाएं - घनश्याम सक्सेना
मध्य प्रदेश में हरदा जिले के पास कालीमाचन नदी की पुलिया जलप्लावन के कारण धंसने के फलस्वरूप जो रेल दुर्घटना हुई है, उसमें कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतरकर गिरने और जलमग्न होने की खबरें हैं। मुश्किल यह है कि इस भीषण त्रादसी के बाद राजनेताओं ने अपना सियासी रंग दिखाना शुरू कर दिया और राजनीतिकरण के इस धुंधलके में मूल मुद्दों के गुम हो...
More »फंदे में फांसी- विशेष प्रस्तुति(प्रभात खबर)
फांसी की सजा को खत्म करने पर एक बहस दुनियाभर में सालों से चल रही है. भारत में भी मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी दिये जाने से पहले 291 प्रतिष्ठित लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर फांसी रोकने की मांग की थी. भारत उन देशों में शामिल है, जहां फांसी की सजा पर अमल नहीं के बराबर हो रहा है. हालांकि जघन्यतम अपराध के दोषियों में...
More »भेदभाव का यंत्र नहीं मोबाइल- नीलांजन मुखोपाध्याय
करीब बीस वर्ष पहले की बात है। तब के केंद्रीय संचार मंत्री ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हाथ से पकड़ने वाले एक यंत्र से फोन किया। बसु ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में उसी तरह से हाथ में पकड़ने वाले यंत्र से संचार मंत्री की बातें सुनीं। आखिर इस बातचीत में खास क्या था? असल में, दोनों व्यक्ति जिस यंत्र से बात कर रहे थे, वह न...
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