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बढ़ते गरीब और बेमानी बहस - अश्वनी कुमार

देशभर के शहरों में रहनेवाले गरीबों के आंकड़े जुटाने के लिए एक जून से सात माह का सर्वे शुरू हो चुका है. इसके साथ ही गरीबों की पहचान के मानदंड पर बहस भी फ़िर छिड़ गयी है. यह विडंबना ही है कि तमाम योजनाओं के बावजूद गरीबों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शहरी गरीबों की गणना की खबरों के साथ ही गरीबी को लेकर जारी बहस फ़िर छिड़ गयी है....

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भाजपा व संघ से मेरे रिश्तों का सुबूत दे कांग्रेस

नई दिल्ली। खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [आरएसएस] का मुखौटा बताए जाने के व्यथित अन्ना हजारे ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि कांग्रेस के नेता और मंत्री उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ भाजपा और संघ से साठगांठ का कोई सुबूत हो तो उसे सामने लाया जाए। प्रस्तुत है सोनिया गांधी को अन्ना...

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दिग्विजय बोले, पीएम भी हों लोकपाल के दायरे में

गुना. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की मंशाओं पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अब प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा,मेरे विचार से प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका, स्वैच्छिक संगठन और औद्योगिक घरानों को लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोकपाल अपनी ताकत का दुरुपयोग नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि जब वे मप्र के मुख्यमंत्री थे,...

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लोकपाल या समानांतर सुप्रीम कोर्ट

राइट टू इनफॉरमेशन एक्ट के अंतर्गत दी हुई सूचना के अनुसार, तीन करोड़ मुकदमे भारत के न्यायालयों में विचाराधीन हैं. इनमें 30 लाख मुकदमे 21 हाइकोर्ट में और 39780 मुकदमे सुप्रीम कोर्ट में हैं. ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार स्वाभाविक है. भ्रष्टाचार की जड़ें अनिर्णित न्यायिक व्यवस्था में निहित हैं. किसी भी भ्रष्टाचारी को वर्तमान न्यायालयों की कार्यप्रणाली में सजा दिलाना असंभव सा है. इसी से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है. न्यायालयों पर...

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बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश

फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...

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