अभिषेक चेंडके, इंदौर(मध्यप्रदेश)। 18वीं सदी में छोटी जाम गांव में देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाई गईं बावड़ियां ढाई सौ साल बाद भी बारह महीने लोगों की प्यास बुझा रही है। हाल ही में ऐतिहासिक महत्व का मानते हुए राज्य सरकार ने इन्हें राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया है। महू से 30 किलोमीटर दूर हरी-भरी वादियों के बीच बसे इस गांव का इतिहास भी 18वीं शताब्दी से जुड़ा है। पुराने...
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अच्छी सेहत से दूर होती आबादी- के सी त्यागी
नीति आयोग ने हाल ही में सार्वजनिक चिकित्सा क्षेत्र के खर्चे में कटौती करने को कहा है। आयोग ने इस क्षेत्र में हो रहे निवेश पर काबू पाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के तहत लोगों को नि:शुल्क मिल रही दवाइयों व अन्य सेवाओं को नियंत्रित करने की भी अनुशंसा की है। इसके अलावा आयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा बीमा कंपनियों को मुख्य भूमिका में लाने...
More »समाख्या की साथिनें- निवेदिता
हमारी मुलाकात ट्रेन में हुई थी। पहली बार जब मैं उससे मिली तो वह बेहद डरी और जिंदगी से हारी हुई दिख रही थी। वह परेशान थी अपने पति की लगातार हिंसा से। उसकी आंखों में मानो बादल तैर रहे थे, जिसे वह सबकी नजरों से बचा कर पोंछ लेती थी। जब हम बातें करने लगे तो पता नहीं उसके दिल का कितना कोना भीग रहा था। जैसे डूबते को...
More »अनिश्चितता का माहौल, टूट रही है मनरेगा से रोजगार की आस
रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर अनिश्चितता का माहौल इस कदर है कि राज्य में रोजगार की मांग करने वाले लाखों लोगों को काम नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि जिलों में सरपंचों से लेकर अफसरों तक को आशंका है कि काम करवाने के बाद भुगतान कब होगा? हालत यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या...
More »विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन
देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
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