धमतरी। सरकार छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है। इसके बावजूद होनहार छात्र झोपड़ी में रहकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई-लिखाई करने मजबूर हैं। बमुश्किल दो वक्त का खाना मिल पाता है। कई बार तो रात में भूखा सोना पड़ता है। ग्राम पंचायत डोमा में निवासरत शत्रुघन सोनवानी और उसके चार बच्चे की यही दास्तान है, जो शासन-प्रशासन की योजनाओं को मुंह चिढ़ाती...
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फांसी से नहीं रुकेगा अपराध--- आकार पटेल
कठुआ और उन्नाव में जो कुछ भी हुआ, वैसी घटनाओं पर हमारे समाज को कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए! विश्वभर में भारत इस बात को लेकर बदनाम है कि यहां यौन हिंसा के कारण महिलाएं अौर बच्चे असुरक्षित हैं. और, अगर यह सच नहीं है, तब भी ऐसी सोच बन चुकी है. ईमानदारी से खुद के भीतर झांकने और यह पूछने के लिए हमें विदेशी मीडिया का सहारा नहीं लेना चाहिए,...
More »महिलाओं के प्रति निष्ठुर क्यों हैं-- आशुतोष चतुर्वेदी
देश में दुष्कर्म के दो मामले सुर्खियों में हैं. दुर्भाग्य यह है कि दोनों मामलों में भारी राजनीति हो रही है और महिलाओं के सम्मान का मुद्दा पीछे छूट गया है. उत्तर प्रदेश में तो भाजपा के एक विधायक पर ही दुष्कर्म का आरोप है. हाइकोर्ट और सीबीआई के हस्तक्षेप के बाद उनकी गिरफ्तारी संभव हुई है. दूसरी घटना जम्मू कश्मीर के कठुआ की है, जहां एक आठ वर्षीय...
More »आंबेडकर विचार भी, प्रेरणाशक्ति भी-- बद्री नारायण
तीकों में प्रेरणा शक्ति निहित रहती है। यह शक्ति ही प्रतीकों को प्रासंगिक बनाती है। डॉ भीमराव आंबेडकर का प्रतीक अपनी इसी शक्ति के कारण लगातार प्रासंगिक होता गया है। दलित सामाजिक समूह ने इसी शक्ति की प्रेरणा से न सिर्फ सामाजिक सत्ता से वाद-विवाद और संवाद करना सीखा है, बल्कि राजनीतिक सत्ता में अपनी भूमिका बनाने की प्रेरणा भी उन्हें इसी से मिली है। आंबेडकर के प्रतीक ने शायद...
More »बस्तर से गायब हो रहा है देशी थर्मस तुम्बा !
भानपुरी , बस्तर l बस्तर अपने प्राकृतिक संसाधनों और कुछ प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं के कारण अपने आप मे प्रसिद्ध है , बस्तर में यहां के आदिवासियों के जीवन में प्रकृति का सबसे ज्यादा योगदान रहता है। जहां आज हम प्लास्टिक, स्टील एवं अन्य धातुओं से बने रोजमर्रा की वस्तुओं का उपयोग करते है वहीं बस्तर में आज भी आदिवासी प्राकृतिक फलों , पत्तियों एवं मिटटी से बने बर्तनों का ही...
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