एक भाषण कितना बड़ा बदलाव ला सकता है! बेशक यह नेहरू के अविस्मरणीय भाषण 'नियति के साथ भारत की भेंट' और मार्टिन लूथर किंग की भावनात्मक प्रेरणा 'मेरा एक सपना है' के स्तर का न हो, लेकिन बीती 14 जुलाई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शशि थरूर का पंद्रह मिनट का भाषण भारत में 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन पर हाल के दिनों का सबसे तीक्ष्ण, प्रभावशाली और कटु आलोचना...
More »SEARCH RESULT
सरकार अब गांवों के लिए लाएगी हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम,
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून को हाउसिंग फॉर ऑल (अर्बन) मिशन लांच किया था। अब जल्द ही सरकार हाउसिंग फॉर ऑल ( रूरल) स्कीम लाने की तैयारी कर रही है। इस स्कीम के तहत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कालोनियों की तरह नियोजित विकास करेगी और लोगों को पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की कमी को दूर करने के साथ साथ शहरों...
More »करोड़ों अकेले-बेबस लोगों का देश - पुण्य प्रसून वाजपेयी
देश में 50 करोड़ से ज्यादा वोटर किसी राजनीति दल के सदस्य नहीं हैं. ये वोटर अपनी-अपनी जगह अकेले हैं. लेकिन, एक-एक वोट की ताकत साथ मिलकर जब किसी राजनीतिक दल को सत्ता तक पहुंचा देती है, तब वह दल अकेले नहीं होता. हां, उसके भीतर का संगठन एक होकर सत्ता चलाते हुए वोटरों को फिर अलग-थलग कर देता है. यानी जनता की एकजुटता वोट के तौर पर नजर आये...
More »15 दिन में 60 हजार किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बना पाए तो रोका वेतन
बलौदाबाजार। 15 दिन में 60 हजार क्रेडिट किसान कार्ड नहीं बनाने पर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का जून माह का वेतन रोक दिया गया। इससे नाराज ग्रामीण कृषि विकासखंड अधिकारी संघ एवं कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के अंतर्गत आने वाले 6 विकासखंडों के सैकड़ों अधिकारियों ने कृषि उप संचालक कार्यालय का घेराव कर जमकर नारेबाजी की। 20 जुलाई तक वेतन भुगतान नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी...
More »भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली
सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...
More »