नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...
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नहीं रुक रहा बाघों की मौत का सिलसिला
नई दिल्ली। इस साल जनवरी के बाद केवल दस हफ्तों में देश के अनेक अभयारण्यों में कम से कम 13 बाघों की मौत हो गई, जिनमें जनवरी और मार्च में पांच-पांच बाघों की मौत हुई। पिछले साल 60 बाघों की मौत दर्ज की गई थी। दुनिया में केवल 3500 बाघ बचे हैं, जिनमें से 1411 भारत में हैं। यह सब तब हो रहा है जबकि, पूरी दुनिया इस संकटग्रस्त प्रजाति की...
More »एक पहल जल-जंगल के लिए
शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...
More »बाघों की मौत का वर्ष होगा 2010
समूची दुनियां में भारत की वन्य जीव संपदा से भरपूर सबसे बड़े देश के रूप में गिनती होती है. तमाम प्राकृतिक प्रकोप बाढ़ ओद आपदाओं, अंधांधुध शिकार, कभी जान की सुरक्षा के चलते की जाने वाली हत्याओं ओद कारणों से हुई वन्य जीवों की बेतहाशा मौत के बावजूद यह स्तर आज भी कायम है. राष्ट्रीय पशु बाघ को लें. एक समय देश में बाघों की तादाद करीब चालीस हजार थी. आज सरकार की...
More »नीलगायों से फसल की बर्बादी पर केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस
पटना पूर्वी चंपारण के वन पदाधिकारियों की माने तो वहां नीलगाय प्रतिवर्ष 626 करोड़ की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। नीलगायों के प्रकोप से डेढ़ सौ लाख हेक्टेयर फसल चौपट हो रही है मगर राज्य सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। एक लोकहित याचिका में उठाये गये इस गंभीर समस्या को देखते हुए पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। दोनों को दो महीने...
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