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अंग्रेजी स्कूल में तब्दील होंगे 750 सरकारी स्कूल

राज्य के 750 माध्यमिक स्कूलों में सोमवार को मिशन उन्नति के तहत इंग्लिश की पढ़ाई की शुरू हो गई। अजबपुर कलां जीजीआईसी में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रोजेक्ट का श्रीगणेश किया। मुख्यमंत्री ने वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में इंग्लिश के ज्ञान को महत्वपूर्ण बताया। कहा, अंग्रेजी के ज्ञान को केवल एक भाषा नहीं बल्कि एक कौशल के रूप में लिया जाए। मुख्यमंत्री ने बेहद कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को...

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छत्‍तीसगढ़ में बेहोशी की दवा से बेहोश नहीं हो रहे मरीज!

प्रशांत गुप्ता, रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) हजारों मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज डीन और डीन से चिकित्सा शिक्षा संचालक (डीएमई, जो सीजीएमएससी के सह प्रबंध संचालक भी हैं) को भेजे गए पत्र में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पत्र में लिखा है कि सीजीएमएससी से सप्लाई हो रही बेहोशी की दवाएं कारगर (इफेक्टिव) नहीं हैं। दवा...

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शिक्षा के क्षेत्र में डराते संकेत - संजीव कुमार

अधिक समय नहीं हुआ, भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का बयान आया था कि रोमिला थापर और बिपन चंद्र जैसे नेहरूवादी इतिहासकारों की किताबों को जला देना चाहिए। इस बयान की बड़ी चर्चा और निंदा हुई थी। पर थोड़ा ठहर कर सोचें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के पास ऐसी किताबों को जला देने, लुगदी बनवा देने, या बलप्रयोग करके इनकी बिक्री रुकवा देने के अलावा उपाय क्या है? क्या...

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यहां जन्म लेते ही अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नवजात

विकास पांडेय, कोरबा। उरगा-करतला मार्ग पर एक ऐसा गांव भी है, जहां के नवजात शिशुओं को जन्म लेते ही एक भीषण अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अपने एक से 10 दिन के दूधमुहे बच्चों के पेट में लोहे की गर्म सीक से दाग दिलाते हैं। उनका मानना है कि इस तरह नवजातों को सर्दी-जुकाम व पेट की बीमारियों से हमेशा के लिए निजात मिल...

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बढ़ते संसाधन घटता ज्ञान - शंकर शरण

जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...

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