कई देशों ने बीसवीं सदी में ही संपूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया और अपने समाज में शिक्षा के औसत स्तर को भी ऊपर उठाया। लेकिन भारत अब भी पूर्ण साक्षर नहीं हो सका है। एक तरफ हम ज्ञान आधारित समाज और डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन इस कड़वी सच्चाई को नजरअंदाज कर जाते हैं कि साक्षरता और शिक्षा के लिहाज से हमारे समाज की तस्वीर कैसी...
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सामाजिक काम के वित्तीय मापदंड-- वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली
सीएसआर फंड यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड यानी कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष पर पहुंच बढ़ाना फंड खोजते गैर-सरकारी संगठनों की रणनीति का आज एक प्रमुख हिस्सा है। इन्ही संदर्भों में स्थितियां यहां तक पहुंच गई हैं कि कतिपय गैर-सरकारी संगठन अपनी वेबसाइटों में अपनी विशिष्टता यही बताते हैं कि वे कॉरपोरेट घरानों के लिए सीएसआर के काम करने व करवाने में पारंगत है, और इसके लिए उनसे संपर्क किया जाए।...
More »अप्रत्यक्ष कर में सुधार से लाभ-- भूपेन्द्र यादव
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुप्रतीक्षित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को संसद से पारित कराने में ऐतिहासिक सफलता पायी है. इस सफलता की बदौलत अब अप्रत्यक्ष करों के मामले में देश में 'एक राष्ट्र एक कर' की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जाना संभव हो सका है. अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार के लिहाज से यह सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. रोजगार...
More »सरकार पहले जेनेरिक दवा की सूची दे, उसके बाद ब्रांडेड दवा लिखने पर होगी बात
इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) द्वारा डॉक्टरों को जेनेरिक (सामान्य) दवा लिखने के आदेश के बाद से खलबली मची हुई है। डॉक्टरों के प्रतिनिधि संगठन आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने सरकार से कहा है कि पहले जेनेरिक दवा की सूची दी जाए, इसके बाद जेनेरिक या ब्रांडेड (महंगी) दवा लिखने पर बात होगी। निर्धारित दवा लिखने के लिए डॉक्टरों को बाध्य नहीं किया जा सकता। इधर, दवा...
More »परंपरागत तरीकों से सूखे की समस्या को मात देते लोग-- पंकज चतुर्वेदी
अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...
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