क्या मोहनदास करमचंद गांधी नस्लवादी थे? यह सवाल घाना में गांधी की प्रतिमा हटाने के कारण एक बार फिर से सुर्खियों में है। जिस याचिका के बाद मूर्ति हटाई गई, उसमें गांधी के कई बयानों का जिक्र किया गया था। हालांकि गांधी के ये बयान खासतौर से दक्षिण अफ्रीका में उनके शुरुआती दिनों के हैं। एक वयस्क परिपक्व गांधी अफ्रीका और अफ्रीकियों के संदर्भ में, नस्ल और नस्लवाद के बारे...
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चौरासी के बदलते चेहरे और हम- शशिशेखर
एक शराबी ने मेरे पिता के शरीर पर मिट्टी का तेल डाला और आग लगाने के लिए माचिस की डिब्बी दिल्ली पुलिस के एसआई एन के कौशिक ने दी। उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। उनका पूरा शरीर जल रहा था। मैं दूर खड़ी देख रही थी। पिता आग से बचने के लिए पास के नाले में कूद गए। दंगाइयों ने उन्हें बाहर निकाला और दोबारा उनकी देह में...
More »किसानों की नाराजगी का नतीजा-- नीरजा चौधरी
पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने किसानों को फिर से राजनीति के केंद्र में ला दिया है। संदेश साफ है कि खेती-किसानी के हित में हमारे नेताओं को अब गंभीरता से सोचना ही होगा। जनादेश बता रहा है कि लोग अब अपनी जरूरतों को अहमियत देने लगे हैं। खासतौर से नौकरी और आमदनी उनके लिए महत्वपूर्ण सवाल बनकर उभरे हैं। इसीलिए चुनावों में उन्होंने अन्य सभी ‘इमोशनल' मुद्दों को किनारे...
More »विद्रोह की जमीन पर एक गांधीवादी- रामचंद्र गुहा
भारत के तीन ही राज्य हैं, जहां मेरा आज तक जाना नहीं हुआ। नगालैंड इनमें से एक है। अगली फरवरी में एक सामाजिक कार्यकर्ता नटवर ठक्कर के निमंत्रण पर वहां जाने का कार्यक्रम बना था, जिनके साथ पत्राचार तो काफी रहा, लेकिन मुलाकात कभी नहीं हुई। 1932 में पश्चिमी भारत में जन्मे नटवर भाई प्रख्यात गांधीवादी और देशभक्त काका साहब कालेलकर के संपर्क में आए और युवावस्था में ही अपना...
More »हकीकत को जानने का नया औजार-- कार्तिक मुरलीधरन
सरकारी दफ्तरों में बैठे हुए हाकिमों को ‘जमीनी हकीकत' जानने में जो समस्या पेश आती है, वह कोई नई नहीं है। इतिहास बताता है कि अशोक से लेकर अकबर तक तमाम सम्राट सच जानने के लिए वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करते थे। आज भी हमारी सरकारों के लिए यह जानना एक बड़ी चुनौती है कि उनकी जन-हितकारी योजनाएं कैसी चल रही हैं? कनिष्ठ अधिकारी अक्सर इन योजनाओं...
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