SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 497

ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा

यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...

More »

विकसित भारत के लिए बिहार का विकास जरूरी : मुख्यमंत्री

पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गौरवशाली अतीत के बावजूद विकास के मामले में बिहार के साथ हमेशा भेदभाव होता रहा। भारत को यदि विकसित राष्ट्र बनना है तो बिहार का विकास अपरिहार्य है। मंगलवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद, डा.शकील अहमद, सांसद शिवानंद तिवारी, शत्रुघ्न सिन्हा, माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, मुचकुंद दुबे, पुलिस महानिदेशक आनंद शंकर, रजी अहमद ने...

More »

निर्णायक कार्रवाई, निशाने पर आदिवासी!

नई दिल्ली [इरा झा]। नक्सलियों पर निर्णायक कार्रवाई को लेकर सरकार इस बार गंभीर नजर आ रही है, मगर उसकी तैयारी अब भी अधूरी ही दिखाई पड़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के लगातार आ रहे बयानों से ऐसा लगता है कि अब कभी भी नक्सल पीड़ित सात राज्यों में उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस बीच ऐसे विज्ञापनों के दौर भी चल रहे हैं, जिनसे...

More »

प्रधानमंत्री के खत पर चेती सरकार

अजमेर. अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों पर अत्याचार प्रकरणों के निस्तारण में ढिलाई पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पत्र के बाद राज्य सरकार चेती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी कलेक्टरों को अदालतों में विचाराधीन प्रकरणों का निस्तारण तेजी से कराने और जिला स्तरीय एससी-एसटी अत्याचार निवारण समिति की बैठकों का नियमित आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. सिंह ने एससी-एसटी के लोगों पर अत्याचार के प्रकरणों का निस्तारण...

More »

कोसी का कहर

कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close