-इंडियास्पेंड, उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके साथ ही बुनियादी जरूरतों से जुड़े मुद्दों पर भी बात हो रही है। हाल फिलहाल में 'यूपी में बेरोजगारी' के मुद्दे पर खूब बात हो रही है। बड़ी संख्या में युवा और बेरोजगार प्रदेश के अलग-अलग जिलों से निकलकर राजधानी लखनऊ में डेरा डाल रहे हैं। इनकी मांगें अलग-अलग जरूर हैं, लेकिन उम्मीद एक सी है, एक अदद रोजगार...
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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना: क्या सरकार पूरा कर पाएगी देश के देहाती गरीबों के घर का सपना?
-गांव सवेरा, जिन योजनाओं के पूरा होने का साल 2022 स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा प्रचारित किया गया उनमें प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना भी शामिल थी. सरकार के अनुसार प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमएवाई-जी) को ग्रामीण क्षेत्रों में 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप तैयार किया गया था. इस योजना का उद्देश्य 2022 तक कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले सभी बेघर लोगों को...
More »यूपी चुनाव: बुंदेलखंड से पलायन जारी, सरकारी नौकरियों का वादा अधूरा
-न्यूजक्लिक, शनिवार की दोपहर का वक़्त है और 23 वर्षीय राजीव पटेल उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से चंडीगढ़ जाने के लिए रेलवे आरक्षण हासिल करने की कोशिश में व्यस्त हैं. बांदा-चित्रकूट के पाठा क्षेत्र के निवासी पटेल पिछले सात वर्षों से चंडीगढ़ और पंजाब और हरियाणा के अन्य शहरों में रसोइए के रूप में काम कर रहे हैं। उनके पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है फिर भी रोज़गार की तलाश में...
More »गुणवत्तापरक शिक्षा तथा मानवाधिकार का सवाल और हमारी जिम्मेदारी
-जनपथ, किसी भी जीवात्मा के मानव जाति में प्रवेश के साथ ही उसको कुछ नैसर्गिक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं जो उसके सम्मानपूर्वक जीवन जीने का आधार बनते हैं। भारत के लिए मानवाधिकार कोई नई अवधारणा नहीं है। भारतीय संस्कृति में मानव के कल्याण की हमेशा कामना की जाती है जो कि मानवाधिकार का मूल स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकार के सार्वभौमिक घोषणा पत्र को...
More »केंद्र के अपारदर्शी नीलामी नियमों के चलते सरकार के ख़र्च पर दाल मिल मालिकों को हुआ जमकर मुनाफ़ा
-द वायर, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नीलामी प्रक्रिया में बदलाव करने के चलते गरीबों के लिए आवंटित कई टन दाल के जरिये मिल मालिकों की झोली भरी गई है. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा नीलामी दस्तावेजों की जांच से पता चलता है कि सरकारी खरीद एजेंसी नेफेड, जो कि कल्याणकारी योजनाओं के तहत कच्ची दालों को संसाधित करने के लिए मिल मालिकों को चुनती है, ने साल 2018 से लेकर अब तक...
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