- कसमार व रामगढ़ के रहनेवाले हैं मजदूर - 12 घंटे काम के मिलते थे डेढ़ दो सौ रुपये साप्ताहिक - पहल के लिए चुनाव बाद भाकपा (माले) मिलेगी सीएम से रांची/बोकारो : दो जून की रोटी की किल्लत किस तरह जिंदगी पर आफत बन टूटती है इसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों से अधिक कौन जानता है. बेंगलुरू से भाग कर वापस रांची आये रामगढ़ व बोकारो के बीस मजदूर इसी ट्रेजेडी की गवाह हैं....
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कालाहांडी में बार-बार चढ़ती काठ की हांडी- सलमान रावी
शहर कैसा होता है? इन्हें नहीं पता। बस कैसी होती है? ये नहीं जानतीं। "शायद शहर में मेम रहती है। मुझे पता नहीं। शहर बहुत बड़ा होगा। वहां बिजली होगी। जगमग-जगमग करता होगा। वहां मेले लगते होंगे। शहर की लड़कियां बहुत ख़ूबसूरत होंगी लेकिन मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।" ये कल्पना है, कालाहांडी के पेर्गुनी पाड़ा गाँव में रहने वाली ललिता की, जिसने कभी शहर नहीं देखा है। ललिता के सपनों...
More »घोषणापत्रों में नजरंदाज होते किसान
चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
More »काली की मेहनत से बंजर में छायी हरियाली- शिकोह अलबदर
रांची से पलामू जाने वाले एनएच - 75 पर ब्रांबे से उेढ़-दो किमी बायीं ओर लगभग छह-सात एकड़ भूमि में हरी-भरी सब्जियां की फसल, फूल और फल आपको हर मौसम में दिख जायेंगे. बरबस आपका ध्यान यह दृश्य अपनी ओर आकर्षित कर लेगा. इन खेतों में आपको तमाम तरह के मौसमी सब्जियां मिल जायेंगी. ये जमीन कई वर्ष तक बंजर पड़ी रही थीं. लेकिन एक इनसान की मेहनत और लगन...
More »काली की मेहनत से बंजर में छायी हरियाली- शिकोह अलबदर
रांची से पलामू जाने वाले एनएच - 75 पर ब्रांबे से उेढ़-दो किमी बायीं ओर लगभग छह-सात एकड़ भूमि में हरी-भरी सब्जियां की फसल, फूल और फल आपको हर मौसम में दिख जायेंगे. बरबस आपका ध्यान यह दृश्य अपनी ओर आकर्षित कर लेगा. इन खेतों में आपको तमाम तरह के मौसमी सब्जियां मिल जायेंगी. ये जमीन कई वर्ष तक बंजर पड़ी रही थीं. लेकिन एक इनसान की मेहनत और लगन...
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