द थर्ड पोल, 18 अक्टूबर इस साल 25 मई को जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर की डल झील में बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां तैरती हुई पाई गईं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक स्थानीय निवासी मरी हुई मछलियों से भरी झील के किनारे खड़ा होकर कहता है: “शहर के कई हिस्सों का सीवेज सीधे झील में जाता है। पानी की बदबू पर्यटकों के जेहन में झील की...
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भारत में आगे क्या लाएगा अल-नीनो?
डाउन टू अर्थ, 12 जुलाई इस वर्ष भारत में मॉनसून में तीन सप्ताह की देरी हुई। इसका मतलब था कि जून की शुरुआत में पूरे उपमहाद्वीप में बहुत कम बारिश हुई और भीषण गर्मी पड़ी, जिसके कारण उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। विलंबित और कमजोर मॉनसून आमतौर पर तब होता है जब (उत्तरी-गोलार्ध) वसंत ऋतु में अल नीनो विकसित होता है, जैसा कि ला...
More »दुनिया भर की जलवायु पर असर डाल रहा है तिब्बती पठार की मिट्टी का तापमान
डाउन टू अर्थ, 05 मई मौसम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। प्राकृतिक प्रणालियां इतनी जटिल हैं कि, सबसे उन्नत तकनीक से भी मौसम विज्ञानी 10 दिनों से अधिक का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं। इसलिए भविष्य में महीनों और ऋतुओं के बारे में पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। फिर भी यह जलवायु विज्ञान के बढ़ते क्षेत्र पर गौर करते है जो 1980 के दशक में गंभीरता से शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत...
More »ये 'अल–नीनो' क्या बला है?
एक अनुमान की माने तो वर्ष 2023 अल–नीनो की आगोश में आ जाएगा।अल–नीनो का संयोग भारत के लिए अशुभ माना जाता है।क्योंकि अल–नीनो के कारण कई बार बारिश की मात्रा में गिरावट आ जाती है; हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर अल–नीनो तुषारापात करता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि अल–नीनो नाम की बला है क्या? आज का लेख उसी के नाम! अल–नीनो का प्रभाव मानसून और महासागर की...
More »पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
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