कार्बनकॉपी, 02 अप्रैल मौसम विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी दी है कि अप्रैल से जून के बीच भारत में अत्यधिक गर्मी पड़ने वाली है। आईएमडी ने कहा है कि मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर गर्मी का सबसे बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना है। गौरतलब है कि देश में 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में आम चुनाव होने वाले हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने एक प्रेस वार्ता को...
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वैज्ञानिको को गंगा-यमुना में मिले माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत, मैदानी इलाकों के लिए बन सकते हैं खतरा
मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च भारतीय वैज्ञानिको को गंगा, यमुना में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत मिले हैं, जो सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते है। इस बारे में डॉक्टर महुआ साहा के नेतृत्व में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआइओ) और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों के दल ने एक नया अध्ययन किया है, जिसके नतीजे जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स में प्रकाशित हुए हैं। रिसर्च में शोधकर्ताओं...
More »अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा
मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च जून की उमस भरी दोपहर में ऊपरी असम के धेमजी जिले के जोनाई शहर के बाहरी इलाकों में बाढ़ का सर्वे करते हुए नामाश पसार ने बढ़ते पानी में कुछ भटकता हुआ देखा। जब वह चीज पास आई तो उन्होंने पाया कि यह एक जीवित जानवर था। अपने साथ खड़े दो अन्य लोगों की मदद से नामाश ने उसे बह जाने से बचा लिया। वह उसे वन...
More »नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या
डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...
More »पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण
मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि खुद को अपने प्राकृतिक आवास के बाहर ऐसी जगह पर खुद को विकसित करते हैं जहां कि वे स्थानीय जैव विविधता नकारात्मक असर डालते हैं, उनके बारे में उतनी चर्चा नहीं होती है जितनी कि जलवायु परिवर्तन,...
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