SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 8

नदीसूत्रः तमिलनाडु के लोकजीवन और लोकाचार में नदियां

- इंडिया टूडे हिंदी, अगर कोई कहे कि दुनिया भर की अधिकतर सभ्यताएं नदियों के किनारे फूली-फलीं और विकसित हुईं तो यह कोई नई बात नहीं होगी. हम सबने यह छठी कक्षा से पढ़ना शुरू कर दिया था. यह और बात है कि अपने आसपास मरती नदियों को देखकर और मुंह फेरकर चल देना हमारी आदतों में शुमार हो चुका है. पर, नदियां न सिर्फ मानव सभ्यताओं के बढ़ने और उनकी जिजीविषा...

More »

20 साल में 60% एक्वीफर हो जायेंगे खाली फिर कैसे मिलेगा हर खेत को पानी ?

हर खेत को पानी मिले, बेशक यह सोच नेक है लेकिन इस नेक सोच को एक कारगर नीति में कैसे बदलें ? राजधानी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में बीते 27 अगस्त को आयोजित नेशनल वाटर कांफ्रेंस में इस मसले पर कई जरुरी सवाल सामने आये.   केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, योजना आयोग के पूर्व सदस्य मिहिर शाह, केंद्रीय जल आयोग तथा नीति आयोग के सदस्यों समेत देश की...

More »

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने दगा किया, नये साल में खाद्यान्न उत्पादन कम होने के आसार

आशंका है कि खाद्यान्न उत्पादन के मामले में चालू कृषिवर्ष पिछले साल (2016-17) के मुकाबले फीका साबित हो. कृषि  मंत्रालय के शुरुआती आकलनों से पता चलता है कि 2017-18 में खरीफ फसलों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 2.8 प्रतिशत घट सकता है.  साल 2017-18 में खरीफ की फसलों का खाद्यान्न उत्पादन 134.7 मिलियन टन रहने का अनुमान है जबकि 2017-18 में खरीफ में खाद्यान्न का उत्पादन 185.5 मिलियन टन हुआ था. गौरतलब...

More »

पानी के प्रबंधन में बुनियादी बदलाव की दरकार, बने नेशनल वाटर कमीशन-- मिहिर शाह समिति

आजादी के बाद से अबतक बड़े और मंझोले आकार की सिंचाई परियोजनाओं में 4 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन ज्यादातर किसानों के लिए अब भी सिंचाई का पानी मुहाल है.  सूखे की मार झेलती देश की खेती से जुड़ी इस तल्ख सचाई की तरफ ध्यान दिलाया गया है पानी का प्रबंधन सुधारने के मसले पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में. रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग(सीड्ब्ल्यूसी) और केंद्रीय भूजल बोर्ड के कामकाज...

More »

सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

लगातार दो सालों (2014-15 और 2015-16) में सामान्य से क्रमशः 12 और 14 फीसदी कम बारिश के कारण सूखे की मार झेल चुका देश इस साल मानसून से पहले भयावह गर्मी की चपेट में है. चैत के दिन जेठ के दुपहरिया की तरह तपे और देश के कई इलाकों में अप्रैल महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो कि सामान्य से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close