डाउन टू अर्थ, 20 सितम्बर कहते हैं कि युद्ध किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता। ऐसा ही कुछ रूस-यूक्रेन के बीच जारी टकराव के कारण भी हो रहा है। अनुमान है कि इस संघर्ष का खामियाजा सारी मानव जाति को झेलना पड़ेगा। ऊपर से सूखा और जलवायु में आता बदलाव समस्याओं को भड़काने में आग में घी का काम कर रहा है। इस युद्ध के कृषि और खाद्य कीमतों पर पड़ते असर...
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जेंडर
खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
More »आखिर सरकार ने मानी आवारा पशुओं की समस्या की बात
-रूरल वॉइस, नगलिया बल्लू, चंदौसी, संभल, निघासन, लखीमपुर खीरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था लागू की जाएगी। उनका आशय यह था कि 10 मार्च को नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बनेगी, तब इस समस्या पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि किसान कई वर्षों से इस समस्या से...
More »लोकतंत्र और विशेषाधिकार
-आउटलुक, “नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रताओं को सीमित और सत्ता-प्राप्त व्यक्तियों के अधिकारों को व्यापक बनाया जा रहा” यूरोप में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चेतना का उदय और विकास एक लंबी संघर्ष-प्रक्रिया के दौरान हुआ लेकिन भारत में स्वाधीनता प्राप्ति के बाद लोकतंत्र की राजनीतिक प्रणाली को ऐसे समाज पर थोप दिया गया, जो अभी तक मध्यकालीन मूल्य-व्यवस्था और सामंती चेतना से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा था। सामाजिक संरचना की प्राथमिक इकाई परिवार...
More »चुनाव चर्चा से नदारद पुलिस सुधार- विभूति नारायण राय
आगामी आम चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं और इन सभी में एक समान अनुपस्थिति आपका ध्यान आकर्षित कर सकती है। किसी भी दल ने पुलिस सुधारों पर एक भी पंक्ति लिखने की जरूरत नहीं समझी। पहले की ही तरह इस बार भी किसी को यह जरूरी नहीं लगा कि जिस संस्था से जनता का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे ज्यादा वास्ता पड़ता...
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