इंडियास्पेंड, 18 अप्रैल दिल्ली के अधिकतर बेघर लोग शहर के बाहरी इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने की तुलना में शहर के बीच के इलाकों में रहते हैं, जहां की सतह का तापमान अपेक्षाकृत कम है। हालांकि गर्मियों के मौसम में उनका यहां पर रहना भी दूभर हो जाता है। देश एक बार फिर भीषण गर्मी का सामना करने जा रहा है और इस साल अधिक हीटवेव दिनों का पूर्वानुमान है। ये...
More »SEARCH RESULT
कूड़ा बीनने से अमेज़ॉन तक: ट्रांसजेंडर संध्या की कहानी
न्यूज़लॉन्ड्री,24 जुलाई 21 वर्षीय संध्या का जन्म बिहार के नालंदा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनकी परवरिश भी वहीं हुई. अन्य बच्चों की तरह ही पले-बढ़े ‘संदीप’ को 10वीं कक्षा में अपनी असली पहचान का अहसास हुआ, क्योंकि वे खुद को संध्या के रूप में पहचानने लगे थे. उनके लंबे बाल और हाथों के बढ़े नाखूनों को देखकर स्कूल में बच्चे और अध्यापक उन्हें अलग-अलग नामों से...
More »ग्राउंड रिपोर्ट: क्यों नहीं है ट्रांसजेंडर के लिए हेल्पलाइन नंबर?
-न्यूजलॉन्ड्री, किसी ट्रांसजेंडर को सड़क पर देखकर हम गाड़ी के शीशे चढ़ा लेते हैं. उन्हें भद्दी गालियां देते हैं. उनके अलग दिखने की वजह से हम उनका तिरस्कार करते हैं. ये लोग हमेशा से हमारे समाज का हिस्सा रहे हैं लेकिन दबे, सहमे, छुपे और घबराए हुए. ना पुलिस और ना कोई सरकारी तंत्र है जो ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ इनकी मदद कर सके. वहीं मेट्रो, बस...
More »गांव और गरीब राम भरोसे
-आउटलुक, “सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे से हम सब परिचित हैं, सरकार को मार्च 2020 में ही सचेत हो जाना चाहिए था कि महामारी का असर ग्रामीण क्षेत्र पर कितना भयावह हो सकता है” जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, देश के ग्रामीण इलाकों से महामारी की वीभत्सता की अनेक तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। हमने बिहार और उत्तर प्रदेश में पावन गंगा में बहती लाशों का हृदय विदारक दृश्य भी देखा है।...
More »गलत जेंडर पहचान, यौन हिंसा और उत्पीड़न: भारतीय जेलों में ट्रांसजेंडर होने की नियति
-द वायर, ए-4 आकार की एक नोटबुक नागपुर सेंट्रल जेल में किरण गवली द्वारा गुजारे गए 17 महीनों की गवाही देती है. किरण बगैर नागा किए हर दिन थोड़ा समय निकालकर दिन भर की घटनाओं का ब्यौरा लिखा करती थीं- नई बनाई गई दोस्तियों, वेदना, अकेलेपन और कभी -कभी दिल टूटने के बारे में. किसी-किसी दिन शब्द कविता की तरह बहकर आया करते थे, दूसरे दिनों में सिर्फ गुस्से से भरी कच्ची-पक्की...
More »