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मनरेगा में लगातार दूसरी बार बजट कटौती, गांव कैसे बनेंगे आत्मनिर्भर

-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोनाकाल के तीसरे वर्ष में जब रोजगार संकट चरम पर है और लोगों की जेबें खाली हैं तब गांवों में श्रमिकों का सहारा बनने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) में लगातार दूसरे वर्ष बजट प्रावधान में कटौती की गई है. बजट कम होने का सीधा मतलब श्रमदिवस के कम होने और रोजगार के अवसरों में कमी से भी है. 01 फरवरी, 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण...

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महंगाई ले चुकी है स्थायी रूप , शहरी से ग्रामीण तक सभी प्रभावित

-रूरल वॉइस, मंहगाई देश में होने वाले पांच राज्यों मे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है  क्योंकी रोजमर्रा के खर्च में मंहगाई अब हमारे जीवन हिस्सा ही बन गई है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उपभोक्ता मूल्य सूचकां (सीपीआई) या थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) किस तरह के आंकड़े पेश करते हैं।  हकीकत यह है कि इस बार की मंहगाई की जड़े काफी गहरी हैं और ...

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आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!

हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...

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ऑक्सीजन की कमी से हुईं मौतों का डेटा सरकार के पास नहीं, अब लोग ही जुटा रहे आंकड़े

-कारवां,  24 अप्रैल 2021 की अल सुबह एरिक मैसी को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल से एक फोन आया. उन्हें बताया गया कि सांस रुक जाने के चलते उनकी 61 वर्षीय मां डेल्फिन मैसी की मौत हो गई है. डेल्फिन को सप्ताह भर पहले कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के चलते अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. जिस सुबह उनकी मौत हुई एरिक उनके शव को लेने अस्पताल गए और देखा...

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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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