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भारत में अंडे की कमी के चलते, कीट और पतंगे प्रोटीन और पोषण के लिए संभावित समाधान हो सकते हैं?

मोंगाबे हिंदी, 07 जुलाई भारत ने इस साल 17 जनवरी को जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे लेकर हम असमंजस में हैं कि इस पर हम जश्न मनाएं या चिंतित हों। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाजन द्वारा किए गए अनुमानों के अनुसार, भारत का चीन से आगे निकल जाना साल 2025 तक होने की उम्मीद थी, लेकिन भारत की जनसंख्या वृद्धि अनुमानों...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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भारत में दलहन नीति की आवश्यकता

-डाउन टू अर्थ, हर भारतीय रसोई में दाल का तड़का भारतीय आहार की एक विशिष्ट पहचान है ,जो अनाज के पूरक के साथ एक उच्च स्तरीय प्रोटीन का आदर्श मिश्रण प्रस्तुत करती है। दालों में विभिन्न अमीनो एसिड की उपस्थिति वाले शरीर निर्माण गुणों के कारण इनका सेवन किया जाता है। इनमें औषधीय गुण भी होते हैं। दलहन के उत्पाद जैसे पत्ते, पॉड कोट और चोकर पशुओं को सूखे चारे के रूप...

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अफ्रीकन स्वाइन फीवर: खतरनाक डीएनए वायरस ने पिग फार्मिंग वालों की तोड़ी कमर

-न्यूजलॉन्ड्री, “कोविड की दूसरी लहर से पहले नवंबर-दिसंबर तक असम के कई जिलों में एएसएफ के मामले जीरो तक पहुंच गए थे, हम इस पर लगभग नियंत्रण पा चुके थे. लेकिन ऐसा लगता है कि राज्यों ने बीमार या संक्रमित जानवरों को छांटकर अलग करने या हटाने (कलिंग) के ऑपरेशन को ठीक तरीके से अंजाम नहीं दिया. यह कमी रह गई जिसके कारण शायद यह दोबारा उभरा. कलिंग एक बड़ी चुनौती...

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महंगाई कुछ कम होगी- 5 कारण जिनकी वजह से आपको ऊंची कीमतों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए

-द प्रिंट,  मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल में यह वृद्धि 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इसके कारण यह आशंका पैदा हो गई कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को सख्त कर देगा. मई के आंकड़े को कुछ दोषपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि यह वृद्धि मुख्यतः विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, जींसों की कीमतों में वृद्धि, और...

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