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पढ़ाई के साथ हुनर भी सीखते हैं आदिवासी बच्चे

बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के ककराना गांव में ऐसा आवासीय स्कूल है, जहां न केवल पलायन करनेवाले आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हुनर भी सीखते हैं। यहां उनकी पढ़ाई भिलाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में होती है। वे यहां खेती-किसानी से लेकर कढ़ाई, बुनाई, बागवानी और मोबाइल पर वीडियो बनाना सीखते हैं। अब इस स्कूल का एक भील वॉयस नामक यू ट्यूब चैनल भी चल रहा है। पश्चिमी...

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रस्टी स्पॉटेड कैट की निगरानी के लिए 100 कैमरा ट्रैप

मोंगाबे हिंदी, 8 नवम्बर  पिछले महीने राजस्थान के भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अपने बिल्ली के बच्चे को ले जाते हुए एक रस्टी स्पॉटेड कैट (लोहे पर लगे जंग जैसे धब्बे) (वैज्ञानिक नाम- प्रियोनैलुरस रुबिगिनोसस) की तस्वीर सामने आई थी। इसके बाद अधिकारी सक्रियता के साथ इस प्रजाति की निगरानी के लिए रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक...

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जलवायु हॉटस्पॉट: गर्म होती जलवायु पहले से ही सूखे बुंदेलखंड को और झुलसा रही है

इंडियास्पेंड, 13 सितम्बर  "इस असहनीय गर्मी में भी हमें पानी के ल‍िए रोज 10-15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।" मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की एक आदिवासी सुमिंत्रा देवी अपना दर्द साझा करते हुए कहती हैं। बुजुर्ग सुमिंत्रा देवी (65) बुन्देलखण्ड के लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत के सूखाग्रस्त गांव नई बस्ती में रहती हैं। वे एक बार में प्लास्टिक के चार ड‍िब्‍बे में लगभग 80 लीटर पानी लाती है। उनके घर में कुल...

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रिपोर्ट में खनन से जुड़े क्या कुछ तथ्य आए सामने, केन नदी से जुड़ा है मामला

डाउन टू अर्थ, 22 जून नदी तटों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन न हो इससे बचने के लिए केन नदी के पास खनन पट्टों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा दायर संयुक्त समिति की रिपोर्ट में इन-स्ट्रीम खनन को रोकने के लिए नदी के किनारे और भीतर खदान क्षेत्रों का आबंटन न करने की सलाह दी गई है। यह मामला उत्तर प्रदेश...

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बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

मोंगाबे हिंदी, 28 फरवरी केसर की धरती कहे जाने वाले पंपोर इलाके के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) होकर गुजर रहा है। केसर की खेती करने वाले इश्फाक अहमद यहां खड़े होकर इस जमीन के भविष्य को लेकर अजीब सी उधेड़बुन में व्यस्त हैं। केसर की क्यारियों से निकली हरी-हरी टहनियों पर उनकी निगाहें टिकी हैं। वह उत्सव के रंगों में सरोबार उन खूबसूरत दिनों को याद करते हैं जो...

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