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वैज्ञानिको को गंगा-यमुना में मिले माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत, मैदानी इलाकों के लिए बन सकते हैं खतरा

मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च भारतीय वैज्ञानिको को गंगा, यमुना में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत मिले हैं, जो सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते है। इस बारे में डॉक्टर महुआ साहा के नेतृत्व में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआइओ) और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों के दल ने एक नया अध्ययन किया है, जिसके नतीजे जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स में प्रकाशित हुए हैं। रिसर्च में शोधकर्ताओं...

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दिल्ली में बढ़ती बाढ़ की संभावनाएं और अतिक्रमण से घटती आद्रभूमियाँ

मोंगाबे हिंदी, 23 सितम्बर इस साल जुलाई की शुरुआत में दिल्ली के कुछ हिस्सों में कई मीटर तक बाढ़ का पानी भर गया। कई रिपोर्टों में कहा गया कि यमुना नदी को अपना रास्ता फिर से मिल रहा है। शहर के 48 किलोमीटर में फैली हुई यमुना नदी 10 जुलाई को खतरे के निशान से ऊपर बढ़ गई, जिससे शुरुआती अनुमानों के मुताबिक 10,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुक्सान हुआ। विशेषज्ञों...

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दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को प्रभावित कर रहे हैं हरियाणा के दूषित नाले, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ. 7 अगस्त शिकायत मिली है कि हरियाणा के प्रदूषित नाले, दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को प्रभावित कर रहें हैं। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति को मामले की जांच का निर्देश दिया है। एनजीटी ने अपने दो अगस्त, 2023 को दिए आदेश में कहा है कि समिति साइट का दौरा और स्थिति की पुष्टि करने के बाद एक रिपोर्ट कोर्ट में सौंपेगी। मामले में कोर्ट...

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अपशिष्ट जल का दोबारा उपयोग: भारत में जल संकट से निपटने का एक स्थायी रास्ता

द थर्ड पोल, 20 जुलाई यमुना नदी के पुनरुद्धार को लेकर, एक उच्च-स्तरीय समिति की, 21 अप्रैल को हुई बैठक के दौरान, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राजधानी के अपशिष्ट जल या सीवेज के ट्रीटमेंट यानी शोधन में तेजी लाने की अपील की थी। बतौर उपराज्यपाल, जिससे वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संवैधानिक प्रमुख हैं, सक्सेना ने बताया कि किस तरह से राजधानी में, इस समय हर दिन 290.7 करोड़...

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दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी

डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई यह जान लेना आवश्यक है कि नदी पानी के लिए एक पाइप लाइन नहीं है। ना ही रेत बोल्डर जैसे निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की जगह है। और ना ही बोतलबंद पानी का स्रोत मात्र है। नदी एक जीवित प्रणाली है एवं इसके साथ उचित व्यवहार एवं आदर की आवश्यकता है। नदी के अलग-अलग व्यवहारिक क्षेत्र होते हैं- नदी चैनल- जो निरंतर बहाव में रहता है। तटवर्ती...

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