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डाउन टू अर्थ खास: बदलाव की पटरी पर भारतीय रेल

डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी दुनिया के चौथे सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क भारतीय रेलवे ने अगले सात वर्षों में नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रेलवे दो तरह से इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की योजना बना रही है। पहला दिसम्बर 2023 तक सभी ट्रेनों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक ट्रेन में तब्दीली और दूसरा साल 2030 तक ट्रेनों और स्टेशनों में अक्षय स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा की सप्लाई।...

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क्यों की जा रही है गधों की हत्या, कितने जरूरी हैं हमारे लिए गधे

डाउन टू अर्थ, 30 दिसंबर हर शाम मोहम्मद इकबाल अपने गधे को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ले जाते हैं ताकि रेलवे ट्रैक की मरम्मत में इस्तेमाल होने वाली बजरी और रेत को ले जाने के लिए उसका प्रयोग हो सके। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शाहदरा जिले के निवासी इकबाल कुछ इसी तरह के काम के लिए ही अपने गधे को निर्माण स्थलों पर भी ले जाते हैं। वह कहते हैं,...

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मणिपुर लैंडस्लाइड ने रेल परियोजना पर उठाए सवाल, जंगलों की कटाई पर लोगों से नहीं ली सलाह

दिप्रिंट,5 जुलाई  14,000 करोड़ रुपये का इंफाल-जिरीबाम रेलवे प्रोजेक्ट पिछले हफ्ते नोनी जिले में घातक भूस्खलन की चपेट में आ गया. विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस त्रासदी के पीछे कहीं न कहीं यह परियोजना भी जिम्मेदार है. तुपुल/इंफाल: मणिपुर के पहाड़ी जिले नोनी में निर्माणाधीन तुपुल रेलवे स्टेशन के पास पिछले हफ्ते एक विनाशकारी भूस्खलन ने 111 किलोमीटर की महत्वाकांक्षी इम्फाल-जिरीबाम रेलवे परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए...

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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा

-जनपथ, देश के पांच राज्‍यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...

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खून और स्याही

-द कारवां, वह मेरे जीवन का सबसे वीभत्स दृश्य था. दिल्ली पुलिस के सब्जी मंडी स्थित मुर्दाघर में मैंने जो मंजर देखा वह ऐसा था कि मेरे साथी पत्रकार दीपांकर डे सरकार उल्टियां करने लगे थे. वह 1 नवंबर 1984 का दिन था और इंदिरा गांधी को उनके सिख सुरक्षागार्डों द्वारा गोली मारे जाने के 24 घंटे हुए थे. भयानक हिंसा में निर्दोष सिखों को निशाना बनाया जा रहा था. यह मध्यकालीन न्याय...

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