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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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टीबी कब हारेगा और देश कब जीतेगा ? क्या वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया से टीबी रोग का खात्मा हो जाएगा ?

सन् 1962 की बात है। भारत के सैनिक सीमा पर चीनी घुसपैठियों से लड़ रहे थे। तभी एक और जंग देश के भीतर शुरू की गई। यह लड़ाई तपेदिक या टीबी रोग के खिलाफ थीं। चीन से छिड़ी जंग एक महीने के समय अंतराल में अपने अंजाम पर पहुंच गई। पर देश के भीतर टीबी के खिलाफ छेड़ी गई जंग तक़रीबन 60 वर्षों के बाद भी जारी है। आज भी भारत...

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पोषण से खाली भारत की थाली

डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर भारत के सामने सबसे बड़ी बुनियादी चुनौती खाद्य और पोषण असुरक्षा की है। इस विषय को बहुत तार्किक ढंग से समझे जाने की जरूरत है। विश्व में भारत को मज़बूत करने की शुरुआत देश को भीतर से मज़बूत करने की पहल से होगी। भूख की स्थितियों को नकारने से भारत की गरिमा में कोई विस्तार न होगा। वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) यह नहीं कहता कि...

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर; पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से भी पीछे

द वायर, 15 अक्टूबर भारत 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) में 2021 के मुकाबले छह स्थान नीचे गिरकर 107वें पायदान पर पहुंच गया है. भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी बदतर है. रिपोर्ट आयरलैंड की एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड (Concern Worldwide) और जर्मनी के संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ (Welthungerhilfe) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है. रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को...

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कैसा विकास: अपने बच्चों के लिए पोषक आहार खरीदने में असमर्थ है दुनिया की 42 फीसदी आबादी

-डाउन टू अर्थ, एक ओर तो हम विकास की बड़ी-बड़ी बाते करते हैं वहीं दूसरी ओर देखें तो दुनिया में अभी भी करीब 42 फीसदी आबादी पौष्टिक आहार खरीदने में असमर्थ है। जिसका मतलब है कि 300 करोड़ से ज्यादा लोग अपने और अपने परिवार के लिए ऐसा आहार खरीदने के काबिल नहीं हैं जो उन्हें और उनके बच्चों को पर्याप्त पोषण दे सकता है। यही नहीं खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)...

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