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अपने बच्चों को मोटापे और रोगों से मुक्त रखने के लिए पैकेट पर ‘चेतावनी लेबल’ की मांग उठानी होगी!

-जनपथ, बच्चों में बढ़ते मोटापे और उसकी वजह से वयस्क होने पर उनमें असंचारी बीमारियों (NCD) का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। इससे भारतीय माता-पिता बेहद चिंतित हैं। इसको लेकर अब वह चाहते हैं कि प्रोसेस्ड (प्रसंस्कृत) खाद्य पदार्थों के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए जाने चाहिए। वसा, चीनी और नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ज्यादातर पैकेटबन्द खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त कैलोरी...

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उत्तर प्रदेश और बिहार के पांच वर्ष से कम उम्र के मासूम बच्चों पर वायु प्रदूषण का खतरा सबसे अधिक

-डाउन टू अर्थ,  उत्तर प्रदेश और बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े और प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्य खतरनाक स्तर के पार्टिकुलेट मैटर वाले वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। यह राज्य वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों और रुग्णता के कारण जबरदस्त आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हैं। यह बात इस तरफ भी इशारा कर रही है कि इन राज्यों में वायु प्रदूषण की बलि सबसे ज्यादा गर्भ...

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दूषित पेयजल: बिहार, बंगाल और यूपी आर्सेनिक मिले पेयजल से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य

जल-संसाधन मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश की सघन आबादी वाले आठ राज्यों में भूमिगत जल विषैले रसायन आर्सेनिक से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. रिपोर्ट में असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों पर विशेष चर्चा की गई है.   कुएं तथा चापाकल से लिए गये पानी के नमूने में आर्सेनिक की 0.01 से 0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर सांद्रता के आधार पर रिपोर्ट में देश के...

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सेहत के मानकों पर देश के सबसे पिछड़े 50 जिलों में एक है मुजफ्फरपुर !

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में अगर कोई बच्चा साफ-सफाई की कमी से होने वाली ‘डायरिया' जैसी आम बीमारी से पीड़ित हो तो इस बात की कितनी संभावना है उसे प्राथमिक उपचार के तौर पर जीवन-रक्षक घोल(ओआरएस) मिल जाये? बच्चों के तंत्रिका-तंत्र पर आघात करने वाली एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) सरीखी गंभीर बीमारी से बचाव और उपचार की व्यवस्था को पल भर भूल जायें और मुजफ्फरपुर जिले में मौजूद बुनियादी स्वास्थ्य-ढांचे की हालत का...

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टीबी से निजात पाने की चुनौती-- अरविन्द कुमार सिंह

यह बेहद चिंताजनक तथ्य है कि दुनिया भर में टीबी (तपेदिक) की राजधानी कहे जाने वाले भारत में इस वर्ष पंद्रह लाख से ज्यादा नए तपेदिकमरीजों की पहचान हुई है। यह खुलासा खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें कहा गया है कि 2017 में 1 जनवरी से लेकर 5 दिसंबर के बीच 15,18,008 मरीज मिले हैं। इनमें से 12,05,488 मरीजों की पहचान सरकारी अस्पतालों से हुई...

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