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जानवरों के शवों को जलाने में आने वाले खर्च को बचाते हैं लकड़बग्घे

मोंगाबे हिंदी, 04 जनवरी  वैसे तो गिद्धों को शवों का निपटारा करने वाले जीवों के रूप में जाना जाता है लेकिन एक और ऐसा ही ‘सफाईकर्मी’ है जिसके योगदान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, वह है लकड़बग्घा। अगस्त 2023 में प्रकाशित हुई एक नई स्टडी में पाया गया है कि राजस्थान के सवाई मानसिंह वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में धारीदार लकड़बग्घे हर साल 23 टन पालतू जानवरों के शव और 17...

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सेप्टिक टैंक की सफाई में 2017 से अब तक 347 सफाई कर्मचारी हुए ‘शहीद’

वर्कर्स यूनिटी 20 जुलाई  सफाईकर्मी अपनी जान हथेली पर लेकर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरते हैं और आय दिन इस दौरान उनकी मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 40 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई हैं। लोकसभा में 19 जुलाई को...

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वाल्मीकि जयंती की छुट्टी पर भी सफाईकर्मियों से करवाया जा रहा काम!

-गांव सवेरा,  "ठेकेदारी प्रथा खत्म हो, सफाईकर्मियों का शोषण बंद हो और सबको समान वेतन मिले इसके लिए हम लोग लगातर संघर्ष कर रहे हैं." आज देश भर में महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है. वहीं दूसपी ओर इस अवसर पर भी महर्षि वाल्मीकि को मानने वाले और वाल्मीकि समुदाय से आने वाले सफाईकर्मियों से सफाई का काम करवाया जा रहा है. वाल्मीकि जयंती पर पूरे देश में केंद्र और राज्य...

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हरियाणा: जान जोखिम में डाल सीवर साफ करने वाले रोहतक के कर्मचारियों को नहीं मिलता तय वेतन

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 1995 की बात है. हरियाणा का रोहतक शहर बाढ़ से बुरी तरह जूझ रहा था. पानी की निकासी के सारे रास्ते बंद होने के कारण लोगों के घरों में चार-चार फुट तक पानी भर गया था. बाढ़ के पानी में शहर का मल-मूत्र भी तैर रहा था, जिसके कारण पूरे शहर का जीवन नरकीय हो गया था. ऐसी स्थिति में शहर को इस संकट से बचाने का सारा दबाव...

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मनरेगा जरूरी या मजबूरी-7: शहरी श्रमिकों को भी देनी होगी रोजगार की गारंटी

-डाउन टू अर्थ, 2005 में शुरू हुई महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना एक बार फिर चर्चा में है। लगभग हर राज्य में मनरेगा के प्रति ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारों का रूझान बढ़ा है। लेकिन क्या यह साबित करता है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है या अभी इसमें काफी खामियां हैं। डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है, जिसे एक सीरीज के तौर...

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