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मध्य प्रदेश के जंगलों में क्यों कम हो रहा है औषधीय पौधों का उत्पादन

मोंगाबे हिंदी, 01 फरवरी “हाथ में पैसा होगा तभी त्योहार मनाना अच्छा लगता है,” रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से सटे मोरावन गांव की सहरिया आदिवासी बस्ती में रहने वाली गुड्डी बाई कहती हैं। गुड्डी बाई बस्ती की कुछ महिला और पुरुषों के साथ एक घेरे में बैठ कर किसी मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं। पूछने पर गुड्डी बताती हैं, “जंगल में अब इतना...

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ग्राउंड रिपोर्ट: इन आदिवासियों की जमीन सिर्फ कागजों पर हैं; असल में आज भी गरीबी में जीने को हैं मजबूर

 गाँव कनेक्शन, 13 जुलाई  पट्टा जमीन के लिए 22 साल की लंबे संघर्ष के बाद, धनोरिया गाँव की रामप्यारी बाई को 1.35 हेक्टेयर जमीन मिली, लेकिन उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। 2 जुलाई को उसे जला दिया गया और 8 जुलाई को उनकी मौत हो गई। गाँव कनेक्शन ने मध्य प्रदेश के गुना जिले में अपने गाँव की यात्रा की और पाया कि कई आदिवासी परिवार हैं जिनके नाम पर...

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सहरिया आदिवासी: लॉकडाउन की मार से त्रस्त

इस बार गर्मियों के दिन पूरन के लिए कुछ अलग हैं, इस साल कोई 'फड़' नहीं लगी गांव में. वैसे हर साल इन दिनों में 'फड़' लगती थी और पूरन अपने परिवार सहित तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल जाते थे, इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हुआ. पूरन शिवपुरी जिले के कुंवरपुर गांव में रहते हैं, वो सहरिया आदिवासी हैं. इन दिनों वो कुंवरपुर की 'सहराना' बस्ती मे लॉकडाउन...

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औपनिवेशिक दंश झेलती जनजातियां-- प्रमोद मीणा

वर्ष 1871 में औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश सरकार ने भारत की कुछ खानाबदोश और अर्द्ध खानाबदोश जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम (क्रिमिनल ट्राइबल एक्ट) पारित करके जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया। मुख्यधारा के समाजों से दूर रहने वाली इन जनजातियों को पुश्तैनी रूप से अपराधी मानते हुए उन्हें गैर-जमानती अपराध के दायरे में ला दिया गया। इन जनजातीय समुदायों में थे बावरिया, पारधी, कंजर, सांसी, बंजारा, गरासिया, सहरिया आदि। ये...

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इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के आठ पत्रकारों का चयन विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) द्वारा दी जाने वाली इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप के लिए हुआ है। चयनित पत्रकार देश के छह राज्यों से हैं। खोजी और सार्थक पत्रकारिता की श्रेष्ठ परंपरा का निर्वाह करते हुए चयनित फैलो ग्रामीण समुदाय की चिन्ताओं और समस्याओं को जन-सामान्य के बीच लाने और उस दिशा में नीतिगत हस्तक्षेप की जमीन तैयार करने के लिए, उनके बीच कुछ समय बितायेंगे। फैलोशिप के अभ्यर्थियों का...

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