कुछ लोग होते हैं मौसमी शाकाहारी. यानी खास मियाद के लिए वो विशुद्ध शाकाहारी बन जायेंगे. जैसे ही यह खास मियाद पूरी होगी तब शाक‘आहार’ के प्रवर्तक का चोला उतार कर टूट पड़ेंगे मांस–मछली पर. इन मौसमी शाकाहारियों को लगता है कि जिस मियाद के लिए वो मांस नहीं खा रहें हैं तब कोई और शख्स भी नहीं खाएगा. इसी पूर्वाग्रह को लेकर हाल ही में नवरात्रि पर कई जगह, स्वघोषित धर्म...
More »SEARCH RESULT
कहां जा रहा है स्विस बैंकों में रखा भारतीयों का कालाधन ?
क्या यह संभव है कि सरकार की किसी कार्रवाई से पहले ही स्विस बैंकों में जमा कालाधन भारतीय खाताधारक कहीं और जमा कर दें ? सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर भारत और स्विट्जरलैंड के बीच हुए समझौते की खबरों के बीच यह सवाल पूछा जा सकता है. खबरों के मुताबिक दोनों देशों के बीच हाल ही में सहमति बनी है कि अगर कोई भारतीय खाताधारक स्विस बैंकों के अपने खाते से कोई...
More »बढ़ रही है कर्जदार किसानों की तादाद- एनएसएसओ
विकास के बहुमुखी हल्ले के बीच कृषि-संकट जारी है। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से रह-रह कर आ रही किसान-आत्महत्याओं की खबरों के बीच राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण(एनएसएसओ) द्वारा इस माह जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 52 फीसदी खेतिहर परिवार कर्ज में डूबे हैं। रिपोर्ट में का यह तथ्य जुलाई 2012 से जून 2013 के बीच की स्थिति के बारे में है।(देखें नीचे दी गई लिंक) तकरीबन साढ़े...
More »अन्ना का आंदोलन- बहस की नई जमीन
भ्रष्टाचार के विरोध में कारगर, ताकतवर और जन-भागीदारी आधारित लोकपाल बिल तैयार करने के लिए अन्ना हजारे की अगुवाई में चले आमरण अनशन की सफल समाप्ति के बाद बहस की एक नई जमीन तैयार हो रही है। बहस के केंद्र में खुद अन्ना हजारे और आंदोलन का उनका अहिंसक तरीका है तो जन लोकपाल बिल का वह मसौदा भी। नागरिक संगठनों का एक तबका अन्ना हजारे के हालिया बयानों से असहज है और उनकी धर्मनिरपेक्षता...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »