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झारखंड में मिड डे मील में प्याज, लहसुन, अंडा बंद, केंद्रीकृत किचन व्यवस्था पर उठे सवाल

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चार प्रखंडों के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) के लिए लागू केंद्रीकृत किचन व्यवस्था फेल रही है। स्कूली बच्चे इस व्यवस्था से त्रस्त हो गए हैं और पुरानी मध्याह्न भोजन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने...

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एक चौथाई स्कूलों में बच्चों के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं: एन्युअल एजुकेशन रिपोर्ट

द वायर, 22 जनवरी देश में स्कूलों में शौचालय, पेयजल, मिड-डे मील, पुस्तकालय, कम्प्यूटर, बिजली कनेक्शन जैसे शिक्षा के अधिकार से जुड़े स्कूली मानकों में सुधार की रफ्तार बेहद मामूली है और अभी भी एक चौथाई (23.9 प्रतिशत) स्कूलों में पीने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है. साथ ही लगभग एक चौथाई स्कूलों (23.6 प्रतिशत) में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. स्कूलों के हालात को...

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राज्य और केंद्रशासित प्रदेश 30 नवंबर तक मिड-डे मील योजना का सोशल ऑडिट पूरा करें: केंद्र

द वायर , 27 सितम्बर  केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 30 नवंबर तक हर जिले में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) योजना का सोशल ऑडिट करने का निर्देश दिया है, देश भर के स्थानीय प्राधिकरण इस कार्य को पूरा करने में तय समय से पीछे चल रहे हैं, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस दौरान कई राज्यों ने केंद्र सरकार को...

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लक्षद्वीप के स्कूलों में मध्याह्न भोजन में छात्रों को पहले की तरह मांस उत्पाद परोसने का आदेश

न्यूज़ क्लिक,25 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने डेयरी फार्म को बंद करने और स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन से मांस उत्पादों को हटाने के लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया था। केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासन ने स्कूल अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया है, जिसके...

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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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