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चर्चा में.... | झारखंड: भुखमरी से मौत, सरकार का इनकार और फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट
झारखंड: भुखमरी से मौत, सरकार का इनकार और फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट

झारखंड: भुखमरी से मौत, सरकार का इनकार और फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट

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published Published on Oct 20, 2017   modified Modified on Oct 20, 2017

बस सवा साल के भीतर झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू प्रसाद के लिए वक्त का पहिया जैसे पूरा उल्टा घूम गया है.

 

बीते साल जून महीने में उन्होंने कहा था-"जिनका आधार कार्ड नहीं है, वे इस महीने अपना आधार कार्ड बनवा लें, नहीं तो सरकार ऐसे लोगों के बने राशन कार्ड को रद्द करेगी. कम से कम राशन कार्ड में दर्ज परिवार के किसी व्यक्ति का आधार कार्ड बनवा लें नहीं तो उन्हें राशन देना भी बंद कर दिया जाएगा। "(देखें लिंक)

 

अब 16 महीने बाद जब झारखंड के सिमडेगा जिले के कारीमाटी गांव के एक गरीब परिवार की 12 वर्षीया बेटी संतोषी कुमारी की भुखमरी से मौत की खबरों के बीच आधार-कार्ड से वंचित परिवारों के राशन-कार्ड रद्द करने की झाऱखंड सरकार की कवायद पर सवाल उठ रहे हैं तो मंत्री सरयू प्रसाद अपने ही बयान को नकार रहे हैं.

 

एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक सरयू प्रसाद ने कहा है " जिन लोगों के आधार-कार्ड नहीं हैं उनके राशन-कार्ड निरस्त नहीं किए जा सकते. अगर किसी ने ऐसा किया है तो यह गलत है."(देखें लिंक)

 

मार्च 2017 तक 3 लाख राशन-कार्ड रद्द हुए

 

गौरतलब है कि इस साल 27 मार्च को झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला ने सूबे में राशन-कार्ड को आधार-संख्या से जोड़ने के बारे में एक निर्देश जारी किया था. प्रदेश के जनसंपर्क विभाग की प्रेस विज्ञप्ति में राजबाला वर्मा के हवाले से लिखा गया है कि "ऐसे सभी राशन-कार्ड जिन्हें आधार-संख्या से नहीं जोड़ा गया है 5 अप्रैल से रद्द माने जायेंगे."

 

झारखंड के जनसंपर्क विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सूबे में 2017 के मार्च तक लगभग 3 लाख राशन-कार्ड को निरस्त किए गए हैं.

 

सरकार ने चेतावनी की अनदेखी की

 

झारखंड में मनरेगा और पीडीएस के अमल पर लंबे समय से जमीनी स्तर के सर्वेक्षण में लगे मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का कहना है कि झारखंड में जिन परिवारों के राशन-कार्ड आधार-संख्या से नहीं जुड़ पाये हैं उन्हें पीडीएस के राशन से वंचित ना करने की मंत्री(सरयू प्रसाद) की बात सही नहीं है.

 

इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज को प्राप्त एक चिट्ठी में ज्यां द्रेज ने कहा है कि " मंत्री(सरयू प्रसाद) खूब जानते हैं कि झारखंड में आधार के सहारे बॉयोमीट्रिक सत्यापन (एबीबीए- आधार बेस्ड बयोमीट्रिक ऑथेन्टिकेशन) 80 फीसद सरकारी राशन-दुकानों के लिए जरुरी है. एबीबीए बगैर आधार-सीडिंग के नहीं हो सकता."

 

ज्यां द्रेज के मुताबिक एबीबीए झारखंड के ग्रामीण इलाकों के लिहाज से उचित तकनीक नहीं है. इसकी वजह से लाखों लोग पीडीएस के दायरे से बाहर हो गये हैं और ये बात सरकारी आंकड़ों से भी पुष्ट होती है. ऐसे में ग्रामीण को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है और सिमडेगा में भुखमरी से हुई मौत ऐसी ही कठिनाइयों का एक उदाहरण है.

 

द्रेज का कहना है कि " हमलोग एक साल से भी ज्यादा समय से इस तरफ ध्यान दिला रहे थे लेकिन चेतावनी के बावजूद झारखंड सरकार ने अड़ियत रवैया अपनाते हुए बात सुनने से इनकार किया और अब सरकार एक बार फिर से सच्चाई का सामना करने की जगह इनकार कर रही है."(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

सिमडेगा की घटना-कुछ तथ्य

 

झारखंड के 24 जिलों में एक सिमडेगा के जलदेगा प्रखंड के गांव कारीमाटी में 27 सितंबर 2017 के दिन एक 12 वर्षीया बच्ची संतोषी कुमारी की मौत हुई.

 

मीडिया रिपोर्टों में इस मौत का कारण भुखमरी को बताते हुए कहा गया है कि संतोषी का परिवार अपना राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं करा पाया, जिस वजह से उसे राशन नहीं मिला और बच्ची की भुखमरी से मौत हो गई .(देखें लिंक)

 

संतोषी देवी की कथित मौत पर उपायुक्‍त सह जिला दण्‍डाधिकारी के आदेश पर करवाई गई सरकारी जांच की रिपोर्ट में मौका मुआयना और ग्रामीणों के बयान के आधार पर कहा गया है कि संतोषी की मौत का कारण भूख नहीं, मलेरिया की बीमारी है। (सरकारी जांच रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें)

 

सिमडेगा जिले में जलदेगा सहित कुल 10 प्रखंड हैं और केवल 449 गांवों वाले इस जिले की 70 फीसद आबादी अनुसूचित जनजाति की है. अनुसूचित जाति के लोगों की तादाद जिले में लगभग 8 प्रतिशत है. 2010-11 में बीपीएल श्रेणी के परिवारों की संख्या के बारे में हुए एक सरकारी सर्वे के मुताबिक सिमडेगा के ग्रामीण इलाके में 91.81 फीसद परिवार गरीब हैं.(देखें लिंक)

 

संतोषी की मौत की वजह के बारे में सरकारी जांच रिपोर्ट और मीडिया में आयी खबर के तथ्यों में विरोधाभास है. सो हालात की जमीनी जानकारी के लिए स्वयंसेवी संगठन वीडियो वालंटियर की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम संतोषी के गांव कारीमाटी में पहुंची. वीडियो वालंटियर की फैक्ट फाइंडिंग टीम के तथ्यों के मुताबिक---

 

---- मृतक संतोषी की मां कोयली देवी के मुताबिक उसके पूरे परिवार को 8 दिनों से खाना नहीं मिला था. मरने से पहले संतोषी ने कहा था कि मैं भूखी हूं, कुछ खाने को दो. कोयली देवी ने कहा कि खाना तो नहीं है लेकिन मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं. कोयली देवी ने चाय बनायी और उसी रोज रात के 9 से 10 बजे के बीच संतोषी की मौत हुई.

 

---- वीडियो वालंटियर्स की टीम ने कोयली देवी से पूछा कि क्या आपने बच्ची को किसी डाक्टर से दिखलाया था तो संतोषी की मां कोयली देवी ने जवाब दिया कि बेटी बीमार नहीं थी, कोई डाक्टर देखने नहीं आया था.

 

--- कोयली देवी एक संस्था लक्ष्मी माइक्रो क्रेडिट ग्रुप की सदस्य है. इस संस्था की अध्यक्ष लक्ष्मी का कहना था कि कोयली ने 900 रुपये का कर्ज लिया था और कर्ज की अदायगी बाकी है. लक्ष्मी ने फैक्ट फाइंडिंग टीम से कहा कि " अगर कोयली के घर खाना नहीं था या फिर उसे राशन खरीदने के लिए रुपये की जरुरत थी तो वह हमसे कह सकती थी और हम पहले की तरह इस बार भी उसे रुपये दे देते. हमे उसकी परेशानी या बच्ची की बीमारी के बारे में पता नहीं था."

 

--- इस ग्रुप के साथ-साथ कोयली देवी के पड़ोसियों और वार्ड के सदस्यों का कहना है कि कोयली के परिवार को नशे की आदत है और राशन दुकान से मिलने वाले चावल को बेचकर वे हंड़िया खरीदते हैं.

 

---- वार्ड के सदस्यों, पड़ोसियों और माइक्रो-क्रेडिट ग्रुप के लोगों ने यह भी कहा कि मृतक संतोषी के मां-बाप आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं, वे शराब के नशे में बेसुध पड़े रहते हैं और अपने बच्चों की परवाह नहीं करते.

 

----- मृतक संतोषी की मां कोयली और उसके परिवार को इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत घर मिला था. फैक्ट फाइंडिंग टीम ने इस घर का मौका-मुआयना किया. इस जगह पर कुल चार घर बने दिखे, सभी जर्जर हालत में थे, उनपर झाड़-झंखाड़ उग आये हैं.

 

--- वार्ड-पति( पंचायत-वार्ड के सदस्य के पति) ने बताया कि इन घरों की एक-एक ईंट घर के मालिकों ने निकालकर बेंच दी है. वे इन घरों में रहने के लिए ही नहीं आये. मृतक संतोषी के पिता और चाचा के पास कुल मिलाकर 20 एकड़ जमीन है. तीन-चार साल पहले तक वे इस जमीन पर ठीक-ठाक खेती कर रहे थे लेकिन जब उन्होंने खेती-बाड़ी करना छोड़ दिया तो उनकी स्थिति बिगड़नी शुरु हुई.

 

--- मृतक संतोषी के चाचा के मुताबिक उनके पास ट्रैक्टर या फिर बैल खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. इसी कारण जमीन ऊसर पड़ी है. इंदिरा आवास योजना वाले घर में ना जाने की वजह बताते हुए मृतक संतोषी के चाचा ने कहा कि नया घर हमारे गांव से बहुत दूर बना हुआ था और बच्चे वहां जाने से डरते थे.

 

---- वार्डपति ने फैक्ट-फाइंडिंग टीम को बताया कि सरकार इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत घर लाभार्थी की मिल्कियत वाली जमीन पर ही बना सकती है. कोयली के परिवार की मिल्कियत वाली जमीन जहां थी वहां उन्हें इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत घर बनवाकर दिया गया. वार्डपति ने यह भी कहा कि कोयली के परिवार ने नये घर का सारा सामान बेच डाला और इसी वजह से वे लोग गांव में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं.

 

---- कांग्रेस पार्टी के एक सदस्य बेंजामिन लकड़ा ने बताया कि कोयली के परिवार को अपनी जमीन रेहन रखनी पड़ी थी. छोटानागपुर टेनेन्सी एक्ट के तहत यह जमीन बेची नहीं जा सकती. बेंजामिन लकड़ा के मुताबिक सरकार सरकार पंचायती राज एक्सटेंशन एक्ट को भी लागू करने में नाकाम रही है और एक ग्राम-प्रधान को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि वह फॉरेस्ट राइट एक्ट के दी गिए अधिकारों के बारे में लोगों में प्रचार कर रहा था. बेंजामिन लकड़ा के मुताबिक सारी बातें आपस में जुड़ी हुई हैं और संतोषी की मौत बड़े पैमाने पर प्रशासनिक नाकामी के संकेत करता है.

 

--- फैक्ट फाइंडिंग टीम ने देखा कि कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधिमंडल गांव के चौक तक आया और वहां तकरीबन 40 मिनट तक रहा लेकिन संतोषी के परिवार से मुलाकात नहीं की.

 

---- वीडियो वालंटियर की टीम संतोषी उस जगह पर गई जहां संतोषी को दफनाया गया है. यह जगह इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मिले घर के नजदीक है. दफनाने की जगह पर संतोषी की लाल चप्पल, स्टील की एक कटोरी, एक प्याली और कुछ दवाइयां पड़ी हुई थीं. उस वक्त संतोषी के चाचा वहां मौजूद थे और बताया कि संतोषी दो दवाइयां खा रही थी उन्हें कब्र में डाला गया है.

 

--- फैक्ट फाइंडिंग टीम ने देखा कि कब्र के आस-पास बहुत सी दवाइयां पड़ी हैं और उन्हें देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि संतोषी की मां और बहन का यह कहना ठीक नहीं था कि संतोषी को डाक्टर को नहीं दिखाया गया.

 

----- वीडिया वालंटियर्स की टीम संतोषी की बीमारी के बारे में जानने के लिए स्थानीय डाक्टर नारायण(बीएमएस एंड आएमपी) से मिली. नारायण ने बताया कि " मुझे 26 सितंबर को संतोषी को देखने के लिए बुलाया गया. उसे बुखार और पैरों में तेज दर्द था. मैंने उसे मलेरिया का इंजेक्शन दिया, मलेरिया के उपचार मे काम आने वाले कुछ टेब्लेटस् और एंटी-बॉयोटिक दवाइयां दीं. मैंने अपने एंटी मलेरिया किट के सहारे संतोषी की जांच की, शायद उसे सेरेब्रल मलेरिया था. मैंने उसे टेब्लेटस् दी थीं लेकिन उसने कहा कि मैं टेब्लेटस् नहीं खाऊंगी. इसी कारण मैं उसे दूसरी दवाइयां देने उसके घर गया था. इसी के आस-पास उसकी मौत हुई.

 

--- फैक्ट फाइंडिंग टीम ने डाक्टर नारायण को कब्र के पास बिखरी पड़ी दवाइयों की तस्वीर दिखायी. नारायणन ने माना कि तस्वीर में जो दवाइयां नजर आ रही हैं वही दवाइयां उसने संतोषी को दी थीं. इससे दोबारा एक तरह से सत्यापन हुआ कि संतोषी की मौत आंशिक रुप से ही भुखमरी का नतीजा है, पूर्ण रुप से नहीं.

 

------ संतोषी के घर में दो जोड़ी कपड़े दिखे, दो चटाइयां, एक साड़ी और एक फ्राक. घर में एक बोरी चावल दिख रहा था जो परिवार को दो दिन पहले मिला था. घर में एक बर्तन में भात बना था और एक बर्तन में दाल. टीम की मौजूदगी में वार्ड मेंबर और माइक्रो क्रेडिट ग्रुप ने कोयली को 2000 रुपये सहायता राशि के रुप में दिए.

 

--- कोयली की झोपड़ी के बाहर दो नंग-धड़ंग बच्चे मिट्टी में खेल रहे थे. एक बच्चा छोटे बर्तन में पानी-भात खा रहा था.

 

--- कोयली के परिवार का कहना है कि हमारे पास राशन-कार्ड नहीं है(हालांकि उनके पास आधार-कार्ड है). ब्लॉक ऑफिसर ने कागज के टुकड़े पर एक नंबर लिखकर दिया है और इस टुकड़े के आधार पर ही राशन-दुकानदार उन्हें राशन देता था. लेकिन आधार-नंबर से जोड़ने की बात शुरु हुई तो ब्लॉक ऑफिसर से मिले कागज के टुकड़े को आधार से लिंक नहीं किया जा सका क्योंकि लिंक करने के लिए राशन-कार्ड की जरुरत होती है. कोयली के परिवार को डीलर ने राशन देने से मना कर दिया था. कोयली के परिवार ने यह मामला पंचायत के सदस्यों के सामने उठाया लेकिन समाधान नहीं निकला. वार्ड मेंबर इस बात से इनकार करते हैं.

 

---- कोयली की सबसे छोटी संतान डेढ़ साल की है. फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पूछा कि क्या उसके छोटे बच्चे और उसे आंगनबाड़ी से भोजन मिलता है तो उसने हां में जवाब दिया.

 

--- फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जांच करने पर पाया कि आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. टीम ने एक और महिला से पूछा तो उसने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र से भोजन का पैकेट मिलता है. लेकिन गांव के बाकी लोगों का कहना था कि आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रुप से नहीं चलता.

 

----- ग्राम-पंचायत की प्रधान कोयली के गांव कारामाटी से 10 किलोमीटर दूर के गांव में रहती है. वह संतोषी की मौत का मामला उछलने के बाद गांव में रोज आ रही है. पंचायत के मुखिया को स्थिति का पूरा पता नहीं है, उसने डाक्टर और पड़ोसियों की बात सुनकर बताया कि संतोषी की मौत भुखमरी से नहीं बल्कि बीमारी से हुई है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें-

In its current form, Aadhaar is very coercive and invasive: Jean Dreze

http://www.catchnews.com/india-news/in-its-current-form-aa
dhaar-is-very-coercive-and-invasive-jean-dreze-76224.htm

 

Ground reality: How Jharkhand's poorest are being kicked out of PDS due to Aadhaar

http://www.catchnews.com/india-news/ground-reality-how-jha
rkhand-s-poorest-are-being-kicked-out-of-pds-due-to-aadhar
-70526.html

 

Dark clouds over the PDS

http://www.thehindu.com/opinion/lead/Dark-clouds-over-the-
PDS/article14631030.ece

 

In Jharkhand, compulsory biometric authentication for rations sends many away empty-handed

https://scroll.in/article/829071/in-jharkhand-compulsory-b
iometric-authentication-for-rations-sends-many-away-empty-
handed

 (पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार वीडियो वालंटियर्स)

 



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