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चर्चा में.... | स्थानीयता की ताकत- एफएओ की नई रिपोर्ट
स्थानीयता की ताकत- एफएओ की नई रिपोर्ट

स्थानीयता की ताकत- एफएओ की नई रिपोर्ट

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published Published on Jun 27, 2013   modified Modified on Jun 27, 2013

भारत में कुल कृषि-भूमि का तकरीबन 45 फीसद हिस्सा सिंचित-भूमि की श्रेणी में आता है और इस भूमि के 50 फीसदी हिस्से पर सिंचाई भूमिगत जल के दोहन से होती है। ग्रामीण इलाके में पेयजल की कुल खपत में 85 फीसदी की हिस्सेदारी भूमिगत जल की है लेकिन वे दिन दूर नहीं जब पानी का यह संसाधन दुर्लभ हो जाएगा। समझदारी इसी में है कि भूमिगत जल को साझे की संपदा माना जाय ताकि भलाई एक की नहीं पूरे समुदाय की हो। भूमिगत जल-स्रोतों के नजदीक रहने वाले लोगों को इस पानी के स्वभाव और उसके अनूकूल प्रबंधन की समझ होती है ना कि उस दल-बल को जो समय-समय पर भागीदारी आधारित भूमिगत जल-प्रबंधन के नारे तले सरकारी दौरा करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता है।


एफएओ के एक नए अध्ययन(देखें नीचे दी गई लिंक) में भूमिगत जल के भागीदारीपरक प्रबंधन से संबंधित दो कार्यक्रमों का जायजा लिया गया है। ये कार्यक्रम 1990 के दशक के मध्यवर्ती सालों से लेकर 2010 तक चले और इस कार्यक्रम के केंद्र में छोटे-छोटे कुओं को रखा गया था। पेयजल या सिंचाई के लिए हर कुएं पर कुछ परिवार निर्भर थे। ये कार्यक्रम आंध्रप्रदेश के सूखा-प्रभावित 660 गांवों में चलाये गए और इनकी समाप्ति तक 20 हजार किसानों ने इसमें पानी के प्रबंधन से जुड़े अपने परंपरागत कौशल के जरिए इसमें भागीदारी की।


ग्रामीण समुदाय के लिए पानी से जुड़े विज्ञान और तकनीक को सहज-सरल बनाना, किसानों के लिए वाटर स्कूल और सूचना-केंद्र बनाकर उन्हें अपने परंपरागत ज्ञान के उपयोग द्वारा जल-प्रबंधन में सक्षम बनाना साथ ही खेती-बाड़ी के लिए पानी की मांग में कमी लाने के तरीके बताने जैसी बातें इस कार्यक्रम का मुख्य आधार रहीं। फसल-चक्र में बदलाव, पानी का प्रभावकारी उपयोग तथा भूमि की नमी को बरकरार रखने के तरीकों के बारे में जानकारी का साझा किया गया। स्थानीय स्तर पर भूमिगत पानी की उपलब्धता से संबंधित आंकड़ों की कमी को देखते हुए कार्यक्रम में किसानों को शामिल करके इस संदर्भ में आंकड़े एकत्र किए गए ताकि बेहतर नीति का निर्माण किया जा सके।


रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यक्रम की सफलता का आधार रहा सूचना, शिक्षा और सामाजिक लामबंदी को भागीदारी आधारित मॉडल की बुनियाद बनाना। इसके अतिरिक्त अन्य किसी मानक को कार्यक्रम में दिशा-निर्देशक के रुप में इस्तेमाल नहीं किया गया।

इस विषय पर विस्तार से जानकारी निम्नलिखित लिंक्स पर उपलब्ध है-

Smallholders and sustainable wells - A Retrospect: Participatory Groundwater Management in Andhra Pradesh (India) by Samala Venkata, Govardhan Das and Jacob Burke (2013), FAO, http://www.fao.org/docrep/018/i3320e/i3320e.pdf

Managing the Invisible: Understanding and Improving Groundwater Governance (2012)- Marcus Wijnen, Benedicte Augeard, Bradley Hiller, Christopher Ward and Patrick Huntjens,

http://water.worldbank.org/sites/water.worldbank.org/files
/publication/ESW_Managing-the-invisible.pdf

A presentation by Tushar Shah of the International Water Management Institute

http://www.slideshare.net/indiawaterportal/growing-role-of
-groundwater-in-indian-irrigation-in-transition

Water: Towards a Paradigm Shift in the Twelfth Plan -Mihir Shah, Economic and Political Weekly, Vol xlviiI 40, No 3, January 19, 2013,

http://www.im4change.org/siteadmin/http://www.im4change.or
ghttps://im4change.in/siteadmin/tinymce/uploaded/Mihir%20s
hah.pdf

Bringing public participation to the water table, CSIRO, 28 March, 2013, http://www.csiro.au/en/Organisation-Structure/Divisions/La
nd-and-Water/Public-Participation-in-Water-Initiatives.asp
x

The Central Groundwater Board's 2012 analysis,

http://cgwb.gov.in/documents/GROUND%20WATER%20LEVEL%20SCEN
ARIO_November-12.pdf

Water in India: Situation and Prospects (2013), UNICEF, FAO and SaciWATERs, http://www.im4change.org/docs/656water-in-india-report.pdf

Towards Better Management of Ground Water Resources in India - BM Jha and SK Sinha,

http://www.cgwb.gov.in/documents/papers/incidpapers/Paper%
201-B.M.Jha.pdf

Water: India's Big Resource Challenge,

http://www.im4change.org/news-alerts/water-indias-big-reso
urce-challenge-20416.html

 

 


इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज http://hindi.indiaw


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