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न्यूज क्लिपिंग्स् | चार बातें, जो तय करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर के झटके से कैसे उबरेगी

चार बातें, जो तय करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर के झटके से कैसे उबरेगी

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published Published on May 22, 2021   modified Modified on May 22, 2021

-द प्रिंट,

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कोप ने हम सबको सकते में डाल दिया है. वास्तव में इसने जबरदस्त दुख और पीड़ा पहुंचाई है. पिछले कुछ दिनों से कोविड संक्रमण के नये मामलों में कमी आने लगी है, जिससे उम्मीद को सहारा मिला है.

हालांकि दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और नये मामलों में 2.4 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे उम्मीद बंधी है कि अर्थव्यवस्था अगली तिमाही में गतिशील होगी.

दूसरी लहर के कारण हमें लगता है कि जीडीपी की वार्षिक वृद्धि दर में गिरावट होगी, हालांकि इसके कारण जरूरी नहीं कि आर्थिक मंदी हो. पिछले साल तो अर्थव्यवस्था सिकुड़ गई थी लेकिन इस साल अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा. लेकिन उसका विस्तार उतनी तेजी से नहीं होगा जितनी की भविष्यवाणी की गई.

दिलचस्प सवाल यह है कि जो लॉकडाउन लागू है उसका क्या असर होगा, और वृद्धि दर को नीचे लाने में आशंकाओं और अनिश्चितता का क्या योगदान होगा.

महामारी का डर और स्वास्थ्य सेवा की बदहाली से डर
एक तो महामारी का डर है ही, जो स्वास्थ्य सेवा की बदहाली के डर से अलग है. दिल्ली और देश के दूसरे भागों में स्वास्थ्य सेवा नाकाम रही है. अगर लोगों को समय पर स्वास्थ्य सेवा पहुंचाई जाती तो कई लोगों की जान बच सकती थी. अब, जब दवाएं, अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन आदि फिर से उपलब्ध हो जाएंगे तब यह डर कम हो जाएगा. दूसरे शहरों में स्वास्थ्य सेवा की जैसी स्थिति बनेगी, डर और अनिश्चितता का स्तर उसी के अनुरूप होगा.

कोविड से संक्रमित हुए 2.55 करोड़ लोगों में से 2.8 लाख लोग की मौत हो गई. इनमें से कई की जान तो ऑक्सीज़न और अस्पताल में बेड की कमी के कारण चली गई. ऑक्सीज़न की सप्लाइ और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में सुधार होगा तो ज्यादा लोग रोगमुक्त होने लगेंगे.

अधिकतर लोग घर में बैठे नहीं रह सकते
संक्रमण के मामले घटेंगे तो लोग अपने घर से बाहर निकलने लगेंगे. उनके लिए कोई उपाय नहीं है क्योंकि वे लंबे समय तक घर में बैठे नहीं रह सकते.

कुछ महीने में वैक्सीन की उपलब्धता में सुधार होगा. सरकार ने 19 अप्रैल को फैसला किया कि निजी कंपनियां और संस्थान वैक्सीन हासिल करके लोगों का टीकाकरण कर सकते हैं. इसके बाद से इस मसले पर ज्यादा तेजी से काम हो रहा है. इससे आगे चलकर फायदा होगा जब बूस्टर खुराक देने की जरूरत पड़ेगी. पूरी आबादी टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रह सकती.

वैक्सीन की 18.76 करोड़ खुराक दी जा चुकी है. अब तक संक्रमित हुए 2.55 करोड़ लोगों में से 2.2 करोड़ लोग इससे उबर चुके हैं. उनमें से अधिकतर लोग सामान्य जीवन जीने लगेंगे. हाल में, पॉजिटिविटी रेट घटी है और टीकाकरण तथा कोविड के बाद इम्यूनिटी बढ़ने के कारण इसमें और गिरावट आएगी.

उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि 20 प्रतिशत लोगों को या तो रोग हो जाने के कारण या टीका लगाए जाने के कारण सुरक्षित कर लिया गया है. इससे लोगों का घर से बाहर निकलकर कामधाम करना बढ़ेगा.

हर हफ्ते मापा जाने वाला उपभोक्ता मनोदशा का सीएमआइई सूचकांक शहरों में 2 मई से 16 मई के बीच 40.83 से बढ़कर 48.17 पर पहुंच गया. ग्रामीण भारत में तो यह अभी नीचे ही है मगर शहरों में इसमें सुधार कोविड के मामलों में ठहराव पर लोगों की मनोदशा का अच्छा संकेत देता है.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


इला पटनायक और रेणुका साने, https://hindi.theprint.in/ilanomics/four-things-that-will-decide-how-indian-economy-will-recover-from-shock-of-second-wave-of-covid/217655/


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