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न्यूज क्लिपिंग्स् | ‘एक्ट ऑफ गॉड’ का दावा कर वित्त मंत्री ने कहा, इस वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में हो सकता है संकुचन

‘एक्ट ऑफ गॉड’ का दावा कर वित्त मंत्री ने कहा, इस वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में हो सकता है संकुचन

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published Published on Aug 27, 2020   modified Modified on Aug 27, 2020

-द वायर,

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 41वें जीएसटी काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दावा किया कि इस वित्त वर्ष में ‘एक्ट ऑफ गॉड’ (भगवान का किया हुआ) के कारण अर्थव्यवस्था में संकुचन हो सकता है.  सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी परिषद की पांच घंटे की बैठक के बाद सीतारमण ने कहा कि राज्यों के मुआवजे का भुगतान करने के लिए दो विकल्पों पर चर्चा की गई.

सीतारमण ने कहा, ‘इस साल मुआवजे का अंतर (2.35 लाख करोड़ अनुमानित) बढ़ गया है. यह कमी कोविड-19 के कारण भी हुई है. जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण मुआवजे में कमी का अनुमान 97,000 करोड़ रुपये है.’

जीएसटी परिषद में पहला विकल्प यह रखा गया कि आरबीआई की सलाह से राज्यों के लिए विशेष व्यवस्था की जाए और उन्हें उचित ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपये बांटे जाएं.

वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा, ‘यह पैसा उपकर के संग्रह से 5 साल बाद चुकाया जा सकता है.’

वहीं दूसरा विकल्प यह रखा गया कि आरबीआई की सलाह से इस साल राज्यों द्वारा 235,000 करोड़ रुपये के कुल जीएसटी मुआवजे के अंतर की भरपाई की जाए.

सीतारमण ने कहा कि राज्यों ने विचार करने के लिए सात दिन का समय मांगा है और उसके बाद वित्त मंत्रालय के पास वापस आने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा, ‘ये विकल्प केवल इस साल तक के लिए खुले हैं. अगले साल अप्रैल में परिस्थितियों की समीक्षा की जाएगी और जो देश के लिए अच्छा होगा उसका फैसला लिया जाएगा.’

बता दें कि राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई के लिए कर्ज लेने के केंद्र के सुझाव का गैर-राजग दलों के शासन वाले प्रदेश विरोध कर रहे हैं.

कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है. वहीं केंद्र सरकार ने कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि अगर कर संग्रह में कमी होती है तो उसकी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है.

सूत्रों के अनुसार बैठक में केंद्र के साथ-साथ भाजपा-जद (यू) शासित बिहार की राय थी कि राज्यों को कर राजस्व में कमी कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेना चाहिए.

बता दें कि पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने 26 अगस्त को सीतारमण को पत्र लिखा था कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए.

मित्रा ने कहा था, ‘केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वह संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता. जिस फार्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए संसाधन जुटाए.’

वर्ष 2017 में 28 राज्य वैट समेत अपने स्थानीय करों को समाहित कर जीएसटी लागू करने पर सहमत हुए थे. जीएसटी को सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


द वायर, http://thewirehindi.com/136803/gst-council-meeting-nirmala-sitharaman-economic-contraction-act-of-god/


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