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न्यूज क्लिपिंग्स् | आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा, विपक्ष का बहिर्गमन

आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा, विपक्ष का बहिर्गमन

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published Published on Feb 21, 2011   modified Modified on Feb 21, 2011

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल काग्रेस ने वन भूमि में काबिज वन वासियों को वन भूमि पर भू अधिकार देने के लिए गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया और सदन से बहिर्गमन कर दिया।

विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान काग्रेस के सदस्य अग्नि चंद्राकर ने महासमुंद जिले में वन भूमि पर भू अधिकार पत्र के लिए आवेदनों पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया।

चंद्राकर ने जानना चाहा कि वर्ष 2008-09, 2009-10 तथा 2010-11 में 31-12-10 तक महासमुंद जिले के अंतर्गत कुल कितने आदिवासियों परिवारों ने वन भूमि पर भू अधिकार पत्र देने के लिए आवेदन किया था तथा इनमें से कुल कितने प्रकरणों में भू अधिकार पत्र प्रदान किया गया। लबित आवेदनों को कब तक पूर्ण किया जाएगा।

जवाब में आदिमजाति विकास मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि इस जिले में कुल 7860 आदिवासी परिवारों ने वन भूमि पर भू अधिकार पत्र के लिए आवेदन दिया था जिसमें से कुल 5333 परिवारों को भू अधिकार पत्र प्रदान किया गया है। कोई आवेदन लबित नहीं है।

चंद्राकर ने कहा कि 7860 आवेदनों में से 5333 लोगों को वन भूमि का भू अधिकार पत्र दिया गया तथा अन्य आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। आवेदनों को निरस्त क्यों किया गया इस बारे में जानकारी देनी चाहिए।

मंत्री ने बताया कि इसके लिए जब आवेदन आता है तब उसका नियमत: परीक्षण कराया जाता है तथा पात्र व्यक्तियों को वन भूमि का भू अधिकार पत्र दे दिया जाता है।

मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के नेता रविंद्र चौबे और अन्य सदस्यों ने हितग्राहियों की पात्रता के आधार के बारे में जानकारी मागी और कहा कि राज्य में आधा से ज्यादा आवेदनों को निरस्त किया जा रहा है। पात्र लोगों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है तथा सरकार किसानों और आदिवासियों पर लाठिया चलवा रही है।

इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने सरकार पर आदिवासियों की हितों की चिंता नहीं कर सकने का आरोप लगाया और सदन से बहिर्गमन किया।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/chattishgarh/4_12_7341131_1.html


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