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न्यूज क्लिपिंग्स् | औद्योगिक सुस्ती टूटने के संकेत

औद्योगिक सुस्ती टूटने के संकेत

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published Published on Mar 13, 2013   modified Modified on Mar 13, 2013

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अर्थव्यवस्था की सुस्ती टूटने के जिस संकेत की बात वित्त मंत्री पी चिदंबरम कर रहे हैं। उसकी बानगी औद्योगिक विकास दर के ताजा आंकड़ों में देखने को मिले। दो महीने तक लगातार गिरावट के बाद देश के औद्योगिक क्षेत्र में जनवरी, 2013 में 2.4 फीसद की वृद्धि दर दर्ज की गई है। वैसे, जानकार इसे बहुत उत्साहजनक नहीं मान रहे, क्योंकि बीते साल जनवरी में इस क्षेत्र की विकास दर महज एक फीसद थी।

औद्योगिक विकास दर में थोड़े सकारात्मक बदलाव के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि आगामी 19 मार्च को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ब्याज दरों को घटाएगा या नहीं। ब्याज दरों पर आरबीआइ के रुख में इसी दिन जारी खुदरा मूल्य आधारित महंगाई की दर का भी असर होगा। पिछले फरवरी महीने में यह दर बढ़ कर 10.91 फीसद हो गई। कई लोग यह मान रहे हैं कि औद्योगिक वृद्धि और खुदरा महंगाई की दर में वृद्धि होने से रिजर्व बैंक शायद ब्याज दरों में कटौती को लेकर उत्साह नहीं दिखाए।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को फिर यह साफ कर दिया कि वह हर हालत में ब्याज दरों में गिरावट चाहती है। आर्थिक मामलों के ंिवभाग के सचिव अरविंद मायाराम का कहना है कि महंगाई की दर लगातार कम हो रही है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती की सूरत बनती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर फैसला करेगा तो वह अर्थव्यवस्था की स्थिति और महंगाई, औद्योगिक विकास दर जैसे तमाम पहलुओं को ध्यान में रखेगा। इसके पहले वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी कह चुके हैं कि अर्थव्यवस्था की मंदी दूर करने के लिए सरकार अपने स्तर पर काफी कुछ कर रही है। अब रिजर्व बैंक के स्तर पर कदम उठाने की बारी है।

उद्योग जगत भी औद्योगिक वृद्धि दर से उत्साहित है, लेकिन इसके साथ ही वह ब्याज दरों में कटौती की जोरदार मांग भी कर रहा है ताकि आगे भी सुधार होता रहे। सीआइआइ के अध्यक्ष आदि गोदरेज का कहना है कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि देश के कल-कारखाने मंदी से बाहर आ गए हैं। उन्होंने ब्याज दरों में 0.50 फीसद की कटौती की जरूरत बताई। फिक्की की अध्यक्ष नैना लाला किदवई औद्योगिक विकास दर के आंकड़ों से बहुत उत्साहित नहीं हैं। उनका कहना है कि पूंजीगत सामान उद्योग, उपभोक्ता सामान उद्योग की स्थिति लगातार बदतर बनी हुई हैं। सस्ते कर्ज इन उद्योगों के लिए काफी राहत वाले साबित होंगे।

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी, 2013 में खनन क्षेत्र में 2.7 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। मैन्यूफैक्चरिंग और बिजली उद्योग में क्रमश: 2.7 और 6.4 फीसद की वृद्धि हुई है। 22 औद्योगिक समूहों में से 11 की वृद्धि दर सकारात्मक रही है यानी शेष बचे 11 समूह अभी भी मंदी की चपेट में हैं। टिकाऊ उपभोक्ता सामान उद्योग में 0.9 और पूंजीगत सामान उद्योग में 1.8 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।


http://hindi.yahoo.com/expect-industrial-growth-recover-over-next-fiscal-162819504--finance.html


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