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न्यूज क्लिपिंग्स् | खराब होने की कगार पर 23 लाख मीट्रिक टन गेहूं : भीमसिंह मीणा

खराब होने की कगार पर 23 लाख मीट्रिक टन गेहूं : भीमसिंह मीणा

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published Published on May 26, 2011   modified Modified on May 26, 2011
भोपाल मप्र सरकार द्वारा खरीदे गए ४१ लाख मीट्रिक टन गेहूं में से २३ लाख मीट्रिक टन खराब होने की कगार पर है। इसके लिए राज्य शासन की भंडारण व्यवस्था तो जिम्मेदार है ही, लेकिन इससे भी ज्यादा केंद्र सरकार दोषी है, जिसने अब तक अपने हिस्से का २३ लाख मीट्रिक टन गेहूं उठाने के लिए कोई पहल नहीं की है। जबकि अब मानसून आने में बमुश्किल २क् दिन बचे हैं। केंद्र के इंतजार में मप्र सरकार भी २३ लाख मीट्रिक टन के भंडारण की व्यवस्था नहीं कर पाई और अब आनन-फानन में निर्णय लिया कि सभी जगह गेहूं को खुले में ही कैप्स लगाकर ढांक दिया जाए।

ऐसे हुआ खुलासा
यह खुलासा तब हुआ जब डीबी स्टार गेहूं भंडारण को लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के राज्यमंत्री पारसचंद्र से जवाब मांगने गया। उन्होंने बताया कि वे २२ फरवरी २क्११ को ही केंद्रीय राज्यमंत्री और सचिव को पत्र लिखकर पूरी परिस्थिति के बारे में अवगत करा चुके हैं। इसके बाद अप्रैल में दोबारा पत्र लिखा, लेकिन न पहले जवाब आया और न ही अब। डीबी स्टार ने मामले में पड़ताल की तो पता चला कि केंद्र सरकार पंजाब, गुजरात और उत्तरप्रदेश में पर्याप्त भंडारण के कारण मप्र को नजरअंदाज कर रही है।



३१ तक खरीदा जाएगा गेंहू

मप्र में ३१ मई तक कुल ४६ लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जाएगा। इसमें से मप्र को पीडीएसी सिस्टम के लिए कुल २३ लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत है। इतने गेहूं के भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था राज्य के पास है।

५ लाख मीट्रिक टन यूं ही..

अगर केंद्र सरकार ये गेहूं नहीं उठाती है तो जैसे-तैसे १८ लाख मीट्रिक टन के भंडारण की व्यवस्था करने की क्षमता मप्र सरकार के पास है। जबकि बचे हुए ५ लाख मीट्रिक टन गेहूं के भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं है।

न बेच सकते हैं न बांट सकते..

इससे भी ज्यादा परेशानी वाली बात तो यह है कि इस गेहूं को राज्य सरकार न तो बेच सकती है और न ही गरीबों में बांट सकती है, क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार ने अब तक राज्य को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी है।


पत्र का जवाब नहीं आया

मैंने तो इस साल फरवरी में ही के.बी. थॉमस (केंद्रीय राज्यमंत्री) को पत्र लिखा था। इसके बाद खाद्य मंत्रालय के सचिव बी.सी. गुप्ता को भी अप्रैल में पत्र लिखा, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
पारसचंद्र जैन, राज्यमंत्री खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग, मप्र

http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-23-million-metric-tons-of-wheat-to-rot-on-the-verge-of-2136250.html?C3-MP=


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