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न्यूज क्लिपिंग्स् | घर-घर सोलर प्लांट योजना को झटका, राज्यों ने नहीं तय किया टैरिफ फार्मूला

घर-घर सोलर प्लांट योजना को झटका, राज्यों ने नहीं तय किया टैरिफ फार्मूला

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published Published on May 10, 2015   modified Modified on May 10, 2015

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार चाहती है कि लोग अपने भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा प्‍लांट लगाकर बिजली बेचें। इसके चलते कई लोगों ने अपने भवनों में सौर ऊर्जा प्‍लांट तो लगा लिए हैं, लेकिन उन्‍हें नहीं पता कि वे बिजली कैसे बेचें। इसका कारण यह है कि कई राज्‍यों में अब तक रूफ टॉप सोलर नेट मीटरिंग पॉलिसी नहीं बनाई है। इस पॉलिसी के तहत ही राज्‍य विद्युत नियामक आयोगों द्वारा सौर ऊर्जा की खरीद दर तय की जानी है।

पांच साल पहले जारी किए थे निर्देश

केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीइआरसी) ने वर्ष 2010 में सभी राज्‍य विद्युत नि‍यामक आयोगों (एसइआरसी) को निर्देश जारी किए गए थे कि वे अपने-अपने राज्‍य में ग्रिड कनेक्‍टेड रूफ टॉप सोलर प्‍लांट को बढ़ावा दें और लोगों को प्रेरित करें कि वे अपने भवनों की छतों सौर ऊर्जा प्‍लांट लगाएं। इस प्‍लांट से पैदा होने वाली बिजली की न केवल खुद खपत करें, बल्कि सरप्‍लस होने पर बिजली ग्रिड से जोड़ दें। जो लोग अपने भवनों की छतों पर लगे सोलर प्‍लांट की बिजली ग्रिड को देंगे, उन लोगों को क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनी (डिस्‍कॉम) एक निर्धारित दर पर कीमत अदा की जाएगी। सीइआरसी ने सभी राज्‍य विद्युत नियामक आयोगों से कहा था कि अपने राज्‍य में एक पॉलिसी बनाएं और हर साल उस दर की घोषणा की जाए, जिस दर पर लोगों से बिजली खरीदी जाएगी।

राज्‍यों में नहीं बनी पॉलिसी

जानकार बताते हैं कि दिल्‍ली को छोड़कर अब तक किसी भी राज्‍य ने रूफ टॉप सोलर मीटरिंग पॉलिसी की घोषणा नहीं की है। मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्‍ट में सौर ऊर्जा शामिल है, इस वजह से एक साल के दौरान कुछ राज्‍यों में सौर ऊर्जा को लेकर सक्रियता दिखाई दी है। इसके चलते हरियाणा, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, पंजाब में सोलर पॉलिसी तो बनी है, लेकिन रूफ टॉप सोलर मीटरिंग पॉलिसी की घोषणा अब तक नहीं हुई है।

दिल्‍ली में इस साल से शुरू होगी सौर ऊर्जा की खरीद

दिल्‍ली विद्युत नियामक आयाेग (डीइआरसी) के चेयरमैन पीडी सुधाकर का कहना है कि दिल्‍ली में नेट मीटरिंग पॉलिसी की घोषणा कर दी गई है। अब चालू वित्‍त वर्ष में बिजली की सामान्‍य दरों की घोषणा के साथ यह भी घोषणा की जाएगी कि ग्रिड कनेक्‍टेड सौर ऊर्जा प्‍लांट से किस दर से बिजली की खरीद की जाएगी। सुधाकर बताते हैं कि नेट मीटिरिंग व्‍यवस्‍था के मुताबिक उन भवनों में ऐसे मीटर लगाए जाएंगे, जो भवन की कुल बिजली की खपत और सौर ऊर्जा प्‍लांट से उत्‍पादित बिजली का अंतर बताएंगे। उदाहरण के लिए एक भवन में महीने में 500 यूनिट बिजली की खपत होती है और सौर ऊर्जा से 300 यूनिट बिजली उत्‍पादन होता है तो डिस्‍कॉम्‍स भवन मालिक को शून्‍य से 200 यूनिट की श्रेणी में रखते हुए बिजली का बिल भेजेगा और सौर ऊर्जा प्‍लांट से अधिक बिजली उत्‍पाद‍न करता है तो उसे डिस्‍कॉम बिल का भुगतान करेगा। वह दर क्‍या होगी, इसकी घोषणा जल्‍द ही की जाएगी।

दिल्‍ली के छह भवनों की छत पर बनने लगी बिजली

दिल्‍ली की डिस्‍कॉम बीएसईएस ने दिल्‍ली के छह उपभोक्‍ताओं से करार किया है, जिनके भवनों की छतों पर सोलर प्‍लांट लगाए गए हैं। ये प्‍लांट चार घरों, एक प्राइवेट स्‍कूल और एक व्‍यवसायिक भवन पर लगाए गए हैं। इनसे लगभग 6600 यूनिट बिजली उत्‍पादित होगी। बीएसईएस का कहना है कि इन उपभोक्‍ताओं को डीइआरसी द्वारा निर्धारित की जाने वाली दर के मुताबिक भुगतान की व्‍यवस्‍था की जाएगी। अभी उपभोक्‍ताओं को कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है।

ये कहां बेचें बिजली

हरियाणा के औद्योगिक शहर फरीदाबाद में तिलक शर्मा ने अपने घर की छत पर सोलर प्‍लांट लगाया है। वह उसे ग्रिड से जोड़ना चाहते हैं। इस बारे में वह पड़ताल भी कर चुके हैं, लेकिन उन्‍हें पता ही नहीं चल रहा कि ग्रिड से जोड़ने के लिए उन्‍हें क्‍या करना चाहिए। वह कहते हैं कि इसको लेकर हर राज्‍य में स्‍पष्‍ट नीति बननी चाहिए और इसका प्रचार होना चाहिए।

http://money.bhaskar.com/news/MON-ECN-POLI-states-undecided-on-rate-of-power-buy-by-discoms-for-solar-rooftop-project-4987333-NOR.html


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