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विश्व-गुरु बनने के दावों के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों का सैन्यकरण

-जनपथ, “राष्ट्र” के जटिल “अमानवीय” आदेशों के पालन करने में थोड़ी चूक होती है तो हम सजा पाते हैं। अपने कार्यालयों में कुछ भूलें होती हैं और हम पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है। समाज के भीतर भी हमसे गलतियां होती हैं और हम इसकी भी अनुदारता के शिकार होते हैं। धार्मिक और पवित्र माने जाने वाली दैविक जगहों पर भी किसी प्रकार के अपराध के लिए शायद ही माफ़ी की...

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इंटरव्यू/ यूपीएससी टॉपर: “यकीन नहीं था कि टॉप करूंगा”

-आउटलुक, “कटिहार के शुभम कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2020 में कुल 761 सफल उम्मीदवारों में पहला स्थान प्राप्त किया है।” बिहार के छोटे से शहर कटिहार के शुभम कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2020 में कुल 761 सफल उम्मीदवारों में पहला स्थान प्राप्त किया है। बकौल शुभम, उन्हें सफलता की उम्मीद तो थी लेकिन रैंक वन मिली तो सहसा यकीन कर पाना मुश्किल था। बिहार से आइएएस-आइपीएस...

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भारतीय अर्थव्यवस्था में त्योहारों के उत्साह का माहौल है, उम्मीद है यह कायम रहेगा

-द प्रिंट, ये त्योहारों के दिन हैं और शेयर बाज़ार की तेजी बाकी अर्थव्यवस्था के लिए नयी खबर लेकर आई है, या कह सकते हैं कि इसके विपरीत भी हो रहा है. निर्यात में उछाल बनी हुआ है, टैक्स से आमदनी में भी वृद्धि हो रही है, औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आशा जगा रहे हैं, मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है, बैंकों में खराब कर्जों की तादाद घट रही है, कॉर्पोरेट...

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नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है

आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...

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क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है

-द वायर, 2018-19 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 42.5 फीसदी से 2019-20 में नाटकीय ढंग से बढ़कर 45.6 फीसदी हो गई. कुल रोजगार में कृषि की भागीदारी में यह इजाफा भारतीय अर्थव्यवस्था के एक चिंताजनक पहलू को दिखाता है. यह बढ़ोतरी उद्योग या सेवा क्षेत्र से कृषि में श्रमिकों की एक असामान्य बड़ी गतिशीलता की संकेतक हो सकती है. वास्तविक रोजगार की स्थिति के लिए भिन्न-भिन्न मापकों- काफी सख्त से ज्यादा उदार...

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