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काबुल ने बाइडन को भेड़ की खाल में छुपा भेड़ साबित किया, यूरोप, भारत और क्वाड उनके रुख से हैरत में है

-द प्रिंट, काबुल हवाई अड्डे पर करीब 100 लोगों की हत्या करने वाले बम धमाके के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बयान जारी किया कि ‘हम न माफ करेंगे और न भूलेंगे. हम तुम्हें खोज निकालेंगे और कीमत वसूल करेंगे.’ अंतिम सूचना तक धमाके में अमेरिका के 13 सैनिक भी मारे गए थे. बाइडन ने अपना गुस्सा, संकल्प और आक्रामकता दिखाने की पूरी कोशिश की. लेकिन अफसोस कि...

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नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य

-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...

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काबुल: अभी असल सवाल सभी जातियों और कबीलों को मिला के सरकार बनाने का है

-जनपथ, यह तो अच्छी बात है कि भारत सरकार की तालिबान से दूरी के बावजूद उन लोगों ने अभी तक भारतीय नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया है। हमारा दूतावास सुरक्षित है। हमारे जहाज सुरक्षित हैं और हमारे लोगों को भी भारत लौटने दिया जा रहा है। भारत सरकार और हमारा उड्डयन मंत्रालय भी पर्याप्त सक्रिय हैं। यह ध्यान देने लायक है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरह...

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थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान

-द प्रिंट, कोरोनावायरस पर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के बाद इसके 55 ऐसे प्रभाव होते हैं जो लंबे समय तक शारीरिक कष्ट का कारण बनते हैं. बीमारी से उबरे लोगों में थकावट महसूस होना एक प्रमुख लक्षण है. जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 18,251 पब्लिकेशन को खंगाला और इनमें से 15 अध्ययनों को अंतिम विश्लेषण के लिए...

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वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी से उर्वरकों की कमी के संकट की आशंका

-रूरल वॉइस, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक कीमतों में भारी बढ़ोतरी का दौर चल रहा है। चीन द्वारा यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले के साथ ही बेलारूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं। हालांकि चालू खरीफ सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता का कोई कोई संकट नहीं है लेकिन तेजी से बढ़ती कीमतों के बीच उर्वरक कंपनियां आयात को टाल रही...

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